Thursday, December 1, 2011

तनाव और उत्तेजना

विनय बिहारी सिंह



रास्ते में एक अनजान व्यक्ति जोर- जोर से फोन पर किसी से बातें कर रहा था- आप उत्तेजित होकर बात मत कीजिए.....इससे मेरा दिमाग खराब हो जाता है। शांत हो कर बोलिए। आप से जब भी बातें करता हूं, डिस्टर्ब हो जाता हूं...... शांति से बात कीजिए। समस्या उत्तेजना से नहीं सुलझेगी....... वगैरह, वगैरह।
जानते सभी हैं कि उत्तेजना से या क्रोध से या तनाव से कोई काम नहीं बन सकता। बिगड़ेगा ही। लेकिन फिर भी कई लोग उत्तेजित हो जाते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं या क्रोध में आ कर कुछ भी बोल देते हैं। संतों ने कहा है- जब भी कोई समस्या आए या कोई डिस्टर्बेंस हो आप शांति से उसका विश्लेषण कीजिए और उपाय खोजिए। उपाय पर अमल कीजिए। तब आपका काम भी बन जाएगा और मन मस्तिष्क को कोई क्षति भी नहीं पहुंचेगी। हम जब भी तनाव में आते हैं, हमारे तंत्रिका तंत्र या नर्वस सिस्टम पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। कई लोग तो तनाव के कारण ब्रेन हेमरेज तक के शिकार हो जाते हैं। तनाव हमें खतरनाक जगह पर ले जाता है। शांति हमें ईश्वर की ओर ले जाती है। इसलिए शांति से क्यों न सारा काम करें। हां, यह ठीक है कि हर आदमी को कभी न कभी क्रोध आता है और इस पर हमेशा काबू नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में जहां क्रोध आ रहा हो, वहां से हट जाना चाहिए या लंबी सांस लेकर क्रोध से छुटकारा पाना चाहिए। यदि क्रोध आ ही जाए तो उसके लिए पछतावा न कर अगली बार सुधार कर लेना चाहिए। क्रोध से काम बिगड़ता है, यह सिद्ध हो चुका है। क्रोध या तनाव से हमारा दिल- दिमाग तो प्रभावित होता ही है, हमारा सामाजिक या पारिवारिक संबंध भी बिगड़ जाता है।

No comments: