Thursday, December 29, 2011

किसी के बारे में तुरंत फैसला उचित नहीं

विनय बिहारी सिंह




ट्रेन के एक डिब्बे में पिता और युवा पुत्र आ कर बैठे। पुत्र बहुत खुश था। वह खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। उसके सामने वाली सीट परबुजुर्ग दंपति बैठा था। ट्रेन चल पड़ी। युवा पुत्र खुश हो कर चिल्लाया- पापा, सारे पेड़- पौधे और दृश्य पीछे की ओर जा रहे हैं। सामने बैठे दंपति को अजीब लगा। यह लड़का जवान है और बच्चों जैसी बातें कर रहा है? लेकिन वे कुछ नहीं बोले। तभी बारिश होने लगी। युवा लड़का चिल्लाया- पापा, बारिश हो रही है। देखिए एक बूंद मेरे हाथ पर भी पड़ी। अब बुजुर्ग दंपति से रहा नहीं गया। सामने बैठा पुरुष बोला- आप इस लड़के का इलाज क्यों नहीं कराते। यह तो ऐसा व्यवहार कर रहा है जैसे ट्रेन में पहली बार चढ़ा हो या बारिश पहली बार देख रहा हो। युवा पुत्र के पिता ने कहा- हम अस्पताल से ही आ रहे हैं। दरअसल मेरे बेटा आज जीवन में पहली बार संसार को देख रहा है। आज से ही इसकी आंखें ठीक हुई हैं। इसके पहले यह नेत्रहीन था। इसे दान में दी गई आंख लगाई गई है। इसीलिए यह दुनिया को देख कर खुश है। बुजुर्ग दंपति ने उनसे कहा- माफ कीजिएगा। हमें यह नहीं मालूम था।
संदेश- किसी के बारे में जल्दी से कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। खासतौर से अनजान व्यक्ति के बारे में।

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