Tuesday, March 30, 2010

आखिर किस बात की बेचैनी




विनय बिहारी सिंह




कई लोग बेहद बेचैन रहते हैं। कभी किसी बात को लेकर तो कभी किसी बात को लेकर। एक समस्या खत्म नहीं हुई कि दूसरी शुरू हो गई। बेचैनी, बेचैनी और बेचैनी। शास्त्रों ने कहा है कि अपनी परेशानियों को हमने ही पैदा कर रखा है। किसी और का दोष इसमें नहीं है। किसी और पर आरोप लगाने की जरूरत नहीं है। हमें खुद पर आरोप लगाना चाहिए और अपनी कार्य प्रणाली को सुधारना चाहिए। और बेचैन होकर क्या हम कोई रचनात्मक काम कर सकते हैं। बेचैनी में तो बनने वाला काम भी बिगड़ जाएगा। इसीलिए ऋषियों ने कहा है कि कोई समस्या आए तो पहले शांत हो कर बैठिए और ठंडे दिमाग से सोचिए। ठंडे दिमाग से सोचने और समस्या सुलझाने से आप प्रगति के रास्ते पर जाएंगे। बेचैन हो कर आप अवनति के रास्ते पर जाएंगे क्योंकि क्या पता बेचैनी में आप किसी को बेवजह भला- बुरा भी कह दें। इसलिए जरूरी है कि हम पहले खुद को संभालें। संतुलित करें। हारमनी बनाएं। किसके साथ हारमनी? किसके साथ तालमेल? ईश्वर के साथ। ईश्वर के साथ क्यों? क्योंकि ईश्वर ने ही हमें पैदा किया है, वही हमारा पोषक है और अंत में हम उसी में लीन हो जाएंगे। यह भी कितने आश्चर्य की बात है कि हम लोग यह जानते हुए भी कि ईश्वर सर्वशक्तिमान, सर्व व्यापक और सर्व ग्याता है, उसे भक्ति भाव से बार- बार याद करने के बजाय भूले रहते हैं। कई लोग तो कहते हैं- भाई भगवान को क्या याद करना है। वह तो जानता ही है कि हम किस मुसीबत में हैं। समय नहीं मिलता कि भगवान को याद करें। संसार में फंसे हुए हैं। क्या करें? परमहंस योगानंद जी कहते थे- भगवान के लिए अगर आपके पास समय नहीं है तो अगर भगवान भी कह दें कि उनके पास भी आपके लिए समय नहीं है तब? भगवान तो आपके बिना रह सकते हैं। वे सर्वशक्तिमान हैं। उन्हें किसी चीज की आवश्यकता नहीं है। लेकिन आप क्या भगवान की मदद के बिना एक पल भी रह सकते हैं? आपकी सांस और आपके हृदय की धड़कन भी तो भगवान की कृपा से ही है। लेकिन नहीं, हम सोचते हैं कि यह संसार सदा हमारे साथ रहेगा। हम भी सदा जीवित रहेंगे। मृत्यु भी होगी, यह बात बहुत कम लोग सोचते हैं। अगर सोचते तो ईश्वर को छोड़ कर आनंद में रहने का भ्रम नहीं पालते। उन्हें लगता है कि यह सब कुछ हमेशा चलता रहेगा। इस दुनिया में सब कुछ बदल जाएगा। यह दुनिया आपकी दुनिया नहीं है। ईश्वर की है। आप इसमें अपनी भूमिका अदा करने आए हैं। जब आपका समय पूरा हो जाएगा आप वापस चले जाएंगे। तब आपको कोई रोक नहीं पाएगा। हमारे जन्म का समय तय था और मृत्यु का समय भी तय है। इस बीच के समय में हम अपने को संसार का स्थाई निवासी समझ लें तो यह हमारी ही गलती है। यह संसार हमारा नहीं है। लेकिन हम संसार के मोह में इस कदर फंस गए हैं कि बस लगता है संसार के बिना कैसे रहेंगे। है न रोचक? सच्चाई यह है कि हम दिन पर दिन बूढ़े होते जा रहे हैं। शरीर की कोशिकाएं बूढ़ी होती जा रही हैं। हमारा क्षय हो रहा है। एक दिन हम मृत्यु के मुंह में चले जाएंगे। तब? तब क्या यही बेचैनी काम आएगी? नहीं। इसलिए बेचैन न हो कर, तनाव में न रह कर सिर्फ भगवान पर भरोसा कीजिए और अपनी समस्या के हल की दिशा में सार्थक कदम उठाते रहिए। कोशिश जारी रहे लेकिन ईश्वर के बिना नहीं । ईश्वर के साथ रह कर कोशिश हो।

2 comments:

EJAZ AHMAD IDREESI said...

भैया आपने लिखा तो ब्लोगवाणी ने सर आँखों पे बिठाया... मैंने लिखा तो एक दिन बाद ही सदस्यता ही बर्खास्त कर डाली... वह रे ब्लोगवाणी तू कब बनेगी मीठीवाणी...

मेरा लेख यहाँ पढ़ें
http://laraibhaqbat.blogspot.com/

Randhir Singh Suman said...

nice