Wednesday, March 17, 2010

उत्पत्ति, स्थिति और संहार करने वाली जगन्माता




विनय बिहारी सिंह



गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस में कहा है- उत्पत्ति, स्थिति और संहार करने वाली मां सीता को प्रणाम करता हूं। पश्चिम बंगाल में मां काली को उत्पत्ति, स्थिति (पोषण करने वाली) और संहार करने वाली माता कहा जाता है। एक संत ने कहा है कि मां सीता या मां पार्वती आदि शक्ति हैं। वैसे तो ईश्वर एक ही हैं। लेकिन चूंकि उन्होंने स्वयं कहा है कि माता, पिता, सखा और बंधु सब मैं ही हूं, इसलिए संतों ने कहा है कि प्रकृति और पुरुष के रूप में सीताराम, राधाकृष्ण या शिव- पार्वती दिखाया है। इसमें माता को प्रकृति और भगवान को पुरुष कहा गया है। परमहंस योगानंद जी ने एक भजन लिखा है- राधा राधा राधा गोविंद जय। मूल भजन अंग्रेजी में इस तरह है- स्पिररिट एंड नेचर डांसिंग टुगेदर। विक्ट्री टू स्पिरिट विक्ट्री टू नेचर। राधा राधा राधा गोविंद जय। डांसिंग टुगेदर का अर्थ है सृष्टि की प्रक्रिया। बिना प्रकृति के संसार में कोई भी चीज नहीं बन सकती। शरीर बनने के लिए ही पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश तत्वों की जरूरत है। इसके बाद कर्मेंद्रिय और ग्यानेंद्रिय और फिर इसके बाद पांच प्राण। इसके बाद मन, बुद्धि, अहंकार और चित्त। इसलिए परमहंस जी ने इस भजन में सार तत्व डाल दिया है।
मां सीता को कई लोग कठिन परिस्थितियों से गुजरने वाली जगन्माता कहते हैं। एक तो उनके पति भगवान राम को बनवास मिला। दूसरे उन्हें रावण जैसा राक्षस हर ले गया और लंका में कैद रखा। उन्हें तरह तरह के कष्ट दिए। भगवान राम ने उन्हें मुक्त किया। लेकिन फिर भी मां सीता को सुख नहीं मिला। मर्यादा बनाए रखने के नियम के तहत भगवान राम यानी उनके पति ने उनका परित्याग कर दिया। वे वन में एक पूज्य ऋषि के आश्रम में रहीं और वहीं लव और कुश नामक बच्चों को जन्म दिया। बाद में इन्हीं लव और कुश ने अश्वमेध यग्य के समय अपने पिता से ही युद्ध किया और तब भगवान राम को पता चल गया कि ये दोनों बालक कौन हैं। जाहिर है मां सीता के प्रति सहानुभूति रखने वालों की कमी नहीं है। लेकिन तब भी तुलसीदास जी ने कहा है- उत्पत्ति, स्थिति और संहार करने वाली मां सीता को प्रणाम है। आप प्रश्न कर सकते हैं कि जो मां सीता इतने कष्ट झेलती रहीं वे इतनी शक्तिशाली कैसे हो सकती हैं। तो इसका उत्तर है- यह लोगों को सीख देने के लिए है। मर्यादा को बनाए रखने के लिए अगर कष्ट भी झेलना पड़े तो कोई बात नहीं। अनीति न हो पाए। तभी प्रजा सुखी रहेगी। भगवान राम जैसा राजा और मां सीता जैसी रानी हो तो राज्य सुखी क्यों नहीं रहेगा? राजा कैसा होना चाहिए, इसे भगवान राम ने बता दिया है। मां सीता ने बता दिया है। इसीलिए मां सीता उत्पत्ति, स्थिति और संहार की देवी हैं। शक्तिशाली होते हुए भी लोक मर्यादा का पालन करना ही बड़प्पन है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार इस प्रसंग के लिए