विनय बिहारी सिंह
आप सबको नए साल की असंख्य शुभकामनाएं। ईश्वर आप सबकी मनोकामनाएं पूरी करें। नए वर्ष में हम सब कुछ न कुछ अच्छा करने की सोचते हैं और अनेक लोग संकल्प करके भूल जाते हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उस पर अमल करते हैं। मसलन मेरे एक परिचित ने पिछले साल नए साल शुरू होते ही कहा था- आज से मैं सिगरेट पीना छोड़ रहा हूं। और सचमुच उन्होंने सिगरेट पीना छोड़ दिया। अब उन्हें सिगरेट की ओर देखने की इच्छा भी नहीं होती। यह है दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रमाण। जब उनसे पूछा कि क्या आपको कभी सिगरेट पीने की तलब तड़पा गई? उन्होंने कहा- हां। एक बार तो ऐसा लगा कि मैं सिगरेट के बिना जी ही नहीं सकता। लेकिन तब भी मैंने खुद पर कंट्रोल किया और आज सिगरेट से मुक्त हूं। उन्होंने कहा- दुनिया में कुछ भी करना असंभव नहीं है। दोष सिगरेट का नहीं है। दोष तो हमारा ही है। पैदा होते ही तो हमने सिगरेट पी नहीं। इसकी लत तो बड़े होने पर लगी। सिगरेट हमें गुलाम क्यों बनाए। उनकी बातें सुन कर सुख मिला। संत कहते हैं कि हमें हर वर्ष अपने भीतर झांक कर देखना चाहिए कि हमारे भीतर बुरी आदतों का कचरा क्या है। अगर है तो उन्हें दृढ़ इच्छा शक्ति से हटाने का काम शुरू कर देना चाहिए। यह सच है कि आप उसे जितना छोड़ना चाहेंगे, वह आपको उतना ही पकड़ना चाहेगी। लेकिन जब आप मानसिक रूप से ताकतवर रहेंगे तो वह आदत अंततः छूट जाएगी। आइए एक और पहलू का जिक्र करें। कई लोग नए साल पर संकल्प लेते हैं कि वे आज से रोज सुबह शाम दस मिनट का ध्यान करेंगे या ऊं नमः शिवाय का जाप करेंगे। कुछ लोग तो आलस के शिकार हो जाते हैं। वे तरह तरह के प्रपंचों के लिए समय निकाल लेते हैं लेकिन ईश्वर के लिए दस मिनट भी नहीं निकाल पाते। यह कितना आश्चर्य है? लेकिन कुछ लोग दृढ़ निश्चयी होते हैं। वे लोग जब तय कर लेते हैं कि ईश्वर के लिए आज से दस मिनट का समय रोज निकालेंगे तो वे उसका पालन भी करते हैं और ताजिंदगी उस नियम को निभाते हैं। मजे की बात यह है कि हम दूसरों के नियमों को निभाने में तो कोई कोर कसर नहीं छोड़ते लेकिन अपने बनाए नियम मानो तोड़ने के लिए ही बने हों। नहीं। जो शुभ काम तय कर लिया उसे करना ही चाहिए। जब तय किया तभी से उस पर अमल भी करना शुरू करना चाहिए। कहावत भी है- शुभ काम में देर क्यों? और सुबह- शाम जाप करने या पाठ करने या ध्यान करने का फल कितना सुखदायी होता है, यह तो इसका पालन करने वाला ही जानता है। नए साल की पूर्व संध्या पर मैं एक आश्रम में था और रात वहीं बिताई। पहली जनवरी २०१० को वहीं प्रसाद के रूप में जलपान किया और तब वहां से रवाना हुआ। एक अद्भुत अध्यात्मिक माहौल में नए साल में प्रवेश करना अनिर्वचनीय आनंद था। वहां के सन्यासियों ने ध्यान का एक खंड दूसरों की भलाई के लिए रखा था। यानी जिन्हें हम जानते हैं और जिन्हें हम बिल्कुल नहीं जानते उन सबकी भलाई के लिए ईश्वर से प्रार्थना। क्या आनंद था। सभी लोगों ने हृदय से अन्य लोगों के सुख और उनकी समृद्धि के लिए प्रार्थना की। सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया।। ( सभी सुखी रहें। सबके सुख में अपना सुख है। सबमें हम भी आ गए।) मेरे जीवन का यह सबसे आनंददायी और कभी न भूलने वाला समय था। सुख से सराबोर ऐसा नया साल सबको मिले।
4 comments:
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
नए साल में बहुत ही खूबसूरत बातें कही आपने
इस नए साल पर आपको, आपके परिवार एवं ब्लोग परिवार के हर सदस्य को बहुत बहुत बधाई और शभकामनाएं । इश्वर करे इस वर्ष सबके सारे सपने पूरे हों और हमारा हिंदी ब्लोग जगत नई ऊंचाईयों को छुए ॥
बढिया कहा .. आपके और आपके परिवार के लिए भी नववर्ष मंगलमय हो !!
बहुत शुभकामनाएँ.
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