विनय बिहारी सिंह
एक चालाक व्यापारी एक सन्यासी के पास पहुंचा। उसने संत से पूछा- भगवान के लिए तो एक करोड़ रुपए, एक रुपए के बराबर हैं न? सन्यासी ने कहा- हां। व्यापारी ने दूसरा सवाल किया- क्या आप भगवान से बातचीत करते हैं? सन्यासी ने कहा- हां। व्यापारी ने कहा- तो आप मेरे लिए भगवान से कहिए न कि वे मुझे सौ रुपए दे दें। सन्यासी ने कहा- ठीक है आप एक मिनट रुकिए। चालाक व्यापारी जवाब सुन कर ठगा सा रह गया। वह तो एक की संख्या को एक करोड़ मान रहा था और सन्यासी उसका आशय समझ रहे थे।
1 comment:
bahut khub tit for tat.
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