Wednesday, January 13, 2010

एक और छोटी सी कथा

विनय बिहारी सिंह

एक चालाक व्यापारी एक सन्यासी के पास पहुंचा। उसने संत से पूछा- भगवान के लिए तो एक करोड़ रुपए, एक रुपए के बराबर हैं न? सन्यासी ने कहा- हां। व्यापारी ने दूसरा सवाल किया- क्या आप भगवान से बातचीत करते हैं? सन्यासी ने कहा- हां। व्यापारी ने कहा- तो आप मेरे लिए भगवान से कहिए न कि वे मुझे सौ रुपए दे दें। सन्यासी ने कहा- ठीक है आप एक मिनट रुकिए। चालाक व्यापारी जवाब सुन कर ठगा सा रह गया। वह तो एक की संख्या को एक करोड़ मान रहा था और सन्यासी उसका आशय समझ रहे थे।

1 comment:

kase kahun said...

bahut khub tit for tat.