Friday, January 15, 2010

लकवाग्रस्त कुत्ते को प्यार ने स्वस्थ किया

विनय बिहारी सिंह

दिल्ली की यह घटना बताती है कि प्यार में अनंत ताकत है। प्यार वह है जो निःस्वार्थ हो। जहां स्वार्थ आ गया वहां प्यार शर्तों में बंध जाता है। यहां ऐसे प्यार की बात नहीं की जा रही है। आज के टाइम्स आफ इंडिया में छपी खबर ने बहुतों को आनंद से भर दिया। एक कुत्ता लकवाग्रस्त हो गया था। उसकी देखभाल एक महिला करने लगी। किसी स्वयंसेवी संगठन से संपर्क कर वह महिला लकवा ग्रस्त पैर के बदले पिछले हिस्से में पहिया लगा दिया। कुत्ता चलने लगा। लेकिन उसे और सहारे की जरूरत थी। वह महिला लगातार कुत्ते को प्यार देती रही। प्रोत्साहन देती रही। उसे बिना पहिए के ही चलने को प्रेरित करती रही। बिना पहिए के दो कदम चल कर वह डगमगाता, लेकिन प्यार और प्रोत्साहन ने उसे और चलने की हिम्मत दी। आज वह कुत्ता आराम से चल रहा है। उसकी फोटो भी छपी है। कुछ लोग कहते हैं कि इस दुनिया में खराब ही खराब घटनाएं हो रही हैं। लेकिन सच यह है कि अच्छी घटनाओं की कमी नहीं है। चूंकि अखबार ज्यादातर हत्या, बलात्कार, चोरी, डकैती और दुर्घटनाओं से ही भरे रहते हैं। टीवी का भी यही हाल है। इसलिए अच्छी खबरें दब जाती हैं। वे लोगों तक पहुंचती नहीं। भगवदगीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- सच का अभाव नहीं है और झूठ की कोई सत्ता नहीं है। किसी का झूठ ज्यादा दिन तक नहीं चलता। मातृ स्वरूपा स्त्री अंजलि काकाती ने सन २००८ से लेकर आज तक जिस तरह कुत्ते की सेवा की वह नायाब है। मनुष्य सारे जीवों में श्रेष्ठ है। तो यह मनुष्य का ही दायित्व बनता है कि वह मनुष्य के अलावा पशु- पक्षियों की सेवा करे। अंजलि काकाती ने यह काम किया। मैं ऐसे अनेक लोगों से मिल चुका हूं जो पशु- पक्षियों के प्रति दिल से जुड़े हुए हैं। वे उनकी तकलीफ अपनी तकलीफ समझते हैं। किसी पशु की तकलीफ से तो कुछ लोग रो तक देते हैं। यह करुणा मनुष्य में हमेशा रही है और हमेशा रहेगी। बेशक प्यार में अनंत ताकत है। अगर प्यार न हो तो यह दुनिया ध्वस्त हो जाए। मैं फिर यहां याद दिलाना चाहता हूं कि यहां निःस्वार्थ प्यार की बात की जा रही है। मैंने ऐसे छात्र और छात्राओं को देखा है जो पढ़ने में फिसड्डी थे लेकिन प्यार और प्रोत्साहन पाकर उन्होंने सर्वोच्च अंक पाया। क्षमताएं तो सबके भीतर हैं, उन्हें बस मौका मिलना चाहिए। एक बार एक किशोरी १२वीं कक्षा में दो बार फेल हो गई। उसके माता पिता फिर भी निराश नहीं हुए और लगातार उसे प्रोत्साहित करते रहे। इस लड़की को भी अंततः लगा कि कम नंबर पाना तो वाकई अच्छी बात नहीं है। उसने तीसरी बार अत्यंत मेहनत से पढ़ाई की। उसका पक्का इरादा ही था कि तीसरी बार वह प्रथम श्रेणी से पास हुई और अपने शुभचिंतकों को जा कर मिठाई बांट आई। प्यार वाकई अनमोल है। एक बात औऱ- हमें सबसे ज्यादा और बल्कि हद से ज्यादा जो प्यार करता है वह है ईश्वर। लेकिन हम तो अपनी चिंताओं में इतने मशगूल रहते हैं कि उसके प्यार को महसूस नहीं करते। दिमाग शांत कर दो मिनट के लिए उसे याद करने में कोई हर्ज नहीं है। वह हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। (आज सूर्यग्रहण था। यह ग्रहण ११.०६ बजे सुबह शुरू हुआ और दिन 3.35 तक रहा। सूर्य और चंद्रमा के एक सीध में आने से यह घटना हुई।)