Friday, January 8, 2010

नए युग की शुरूआत

विनय बिहारी सिंह

अगर किसी को जीवन की सारी सुख सुविधाएं और अरबों- खरबों धन दे दिया जाए तो क्या वह सुखी हो जाएगा? यह प्रश्न बार- बार मन में आता है। हो सकता है कि वह पहले खूब खुश हो और तरह- तरह के भोगों में डूब जाए। लेकिन आखिरकार तो वह ऊब ही जाएगा। दुनिया की कोई भी भौतिक चीज आपको हमेशा के लिए सुख नहीं दे सकती। उससे आप जल्दी ही ऊब जाएंगे और किसी नए आनंद की खोज में लग जाएंगे। इसीलिए हमारे ऋषियों ने कहा है- नित नवीन आनंद सिर्फ एक ही जगह मिल सकता है- वह हैं ईश्वर। सिर्फ वही सच हैं। ईश्वर के बिना जीवन का आनंद फीका है। आज एक और जीवंत व्यक्ति से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा- जबसे चीनी ४५ रुपए किलो हुई है, मैंने मिठाई खाना छोड़ दिया है। इसका दोहरा फायदा मिला है। ज्यादा मिठाई या मीठी चीजें खाने से शरीर में कार्बन बनता है जो स्वास्थ्य के लिए घातक है। दूसरा नुकसान यह होता है कि मिठाई खाने वाले की रक्त शर्करा बढ़ जाती है। इस तरह पूरा शरीर तंत्र नुकसान से बच जाता है। मिठाई न खाने और चीनी वाली चाय कम पीने से उन्होंने जो फायदा बताया वह नोट करने लायक था। हां, वे मिठाई के बड़े शौकीन थे और रोज ही अलग- अलग किस्म की तीन- चार मिठाइयां खा लेते थे। धन की कमी नहीं है। वे सामान्य से ज्यादा मीठी चाय भी पीते थे। लेकिन चीनी महंगी होने से उन्होंने अपने खान- पान में बदलाव कर दिया है। उनका पैसा तो बच ही रहा है, स्वास्थ्य भी सुधर रहा है। एक बार जब प्याज महंगा हुआ था तो उन्होंने प्याज ही खाना छोड़ दिया था। उन्होंने प्याज खरीदना बंद कर दिया और तब तक बंद रखा जब तक कि उसका दाम नहीं घटा। हां, वे कहते हैं कि चावल और आटा महंगे होंगे तो यह नियम नहीं लागू हो सकता। उनका कहना है कि वे ईश्वर के भक्त हैं और सभी लोगों से यह आग्रह करना चाहते हैं कि वे मीठा खाने के अपने अभ्यास को नियंत्रित करें। भारत जैसे गरीब देश के लिए यह नुस्खा अच्छा लगा। घी-तेल महंगे हों तो लोग उन्हें खाना बंद कर दें। हालांकि पूरे देश में यह नियम लागू नहीं हो सकता। लेकिन हां, जो कर सकते हैं वे करें तो अच्छा ही है। बाजार में ऐसे कई मसाले और पदार्थ आए हैं जो लुभाते हैं लेकिन अंततः वे हमें नुकसान ही पहुंचाते हैं। तो लोग बाजार से मुंह मोड़ें और उतनी ही चीजें खरीदें जो जरूरत भर की हैं। तो कितना संतुलित जीवन हो जाएगा? हां, उन्होंने आज यह भी कहा- साबुन और सर्फ का कोई विकल्प नहीं है। इसे महंगा कर देने पर दिक्कत हो जाएगी। लेकिन उनके साथ खड़े एक अन्य व्यक्ति ने कहा- क्यों, लोग सस्ते साबुन इस्तेमाल करेंगे। सस्ता माल भारत के बाजारों में हमेशा था और रहेगा। उनके साथ एक बुजुर्ग खड़े थे। उन्होंने कहा- जो दुष्ट लोग जान बूझ कर महंगाई बढ़ा रहे हैं उन्हें सजा अवश्य मिलेगी। इस तरह आज एक नए अनुभव वाला दिन रहा।

No comments: