विनय बिहारी सिंह
स्विट्जरलैंड में अल्ट्रासाउंड के जरिए मस्तिष्क का आपरेशन कर डाक्टरों ने नए युग का दरवाजा खोल दिया। उन्होंने एक दिन में आठ मरीजों के दिमाग का आपरेशन इसी पद्धति से किया है। डाक्टर इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं। अल्ट्राउंड से अब तक शरीर की जांच वगैरह ही होती थी। यह कैसे संभव हुआ? दरअसल मस्तिष्क की प्रभावित कोशिकाओं पर अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा को फेंकते हैं। इससे उन कोशिकाओं का तापमान १३० डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है और कोशिकाएं तुरंत नष्ट हो जाती हैं। नतीजा यह है कि भयंकर सिरदर्द झेल रहा ट्यूमर वगैरह का रोगी, तुरंत राहत पाता है। इसमें चीर- फाड़ की झंझट भी नहीं है। रोगी के सिर को अल्ट्रासाउंड मशीन के भीतर रखा जाता है और उसे बिल्कुल भी पता नहीं चलता कि क्या हो रहा है। हां, उसे बेहोशी की दवा जरूर दे दी जाती है ताकि उसके दिमाग की संवेदनशीलता कम हो जाए औऱ अल्ट्रासाउंड आपरेशन और ज्यादा शांति से हो सके। डाक्टरों को बस कंप्यूटर के जरिए देखना होता है कि अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा ठीक प्रभावित कोशिका पर ही पड़े। मस्तिष्क की ये कोशिकाएं चावल के दाने की तरह होती हैं। उन पर अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा फेंकना कोई मुश्किल काम नहीं होता। डाक्टरों की टीम ने देखा कि जब अल्ट्रासाउंड से रोग प्रभावित अंग की रिपोर्ट मिल सकती है तो इस ऊर्जा का इस्तेमाल रोग ठीक करने में भी तो हो सकता है। इस पर उन्होंने कुछ प्रयोग किए और उन्होंने पाया कि अल्ट्रासाउंड की ऊर्जा तत्क्षण बीमर कोशिका को मार देती है और दर्द से छटपटा रहा रोगी तुरंत राहत महसूस करता है। यह स्थाई इलाज भी है। चीरफाड़ की झंझट तो है ही नहीं, मरीज जल्दी ही घर भी आ जाता है और आराम से अपनी जिंदगी गुजारने लगता है। उम्मीद है स्विट्जरलैंड में पनपी यह तकनीक हमारे भारत में भी देर- सबेर आएगी और हमारे देश के जरूरतमंदों का भी भला करेगी।
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