विनय बिहारी सिंह
साइंस के क्षेत्र में दो घटनाएं हो रही हैं। २२ जुलाई (यानी कल) को सूर्यग्रहण होगा। बीते कल अपोलो ११ अभियान की ४०वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसमें नील अर्मस्ट्रांग के साथ जिस एस्ट्रोनाट ने चंद्रमा पर अपना कदम रखा उनका नाम है बज एल्ड्रीन। ये दोनों चंद्रमा पर गए तो इतिहास रच कर आए। यह पहली बार था जब कोई मनुष्य चंद्रमा पर कदम रख रहा था। यह दिन था- २० जुलाई १९६९. लेकिन इस प्रसंग पर बाद में आएंगे। पहले सूर्य ग्रहण पर कुछ जानकारी लें। आप यह तो जानते ही हैं कि कल पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण सिर्फ ३ मिनट ३० सेकेंड तक रहेगा उसके बाद ग्रहण तो रहेगा लेकिन अपूर्ण। पूर्ण सूर्यग्रहण का एक रोचक तथ्य यह है कि ग्रहण जैसे- जैसे पूर्ण होने को होता है पेड़ों की पत्तियों की छायाएं अद्भुत आकार लेती जाती हैं। अगर आप पूछें कि इसके पहले पूर्ण सूर्यग्रहण कब हुआ था तो इसका जवाब है- १८ अगस्त १८६८ को। और इसके साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि अगला पूर्ण सूर्य ग्रहण २० मार्च २०३४ को होगा। लेकिन यह सिर्फ जम्मू- कश्मीर में ही दिखेगा। कल का सूर्य ग्रहण ३००० किलोमीटर की दूरी तक देखा जा सकेगा। यह तो बताने की जरूरत नहीं है कि जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है तो सूर्यग्रहण होता है। अब आप कहेंगे कि हर दो साल पर दुनिया में कहीं न कहीं आंशिक सूर्यग्रहण तो होता ही है, फिर इस पर इतनी बात क्यों की जाए। तो इसका जवाब यह है कि पूर्ण सूर्यग्रहण हमेशा नहीं होता। पूर्ण सूर्यग्रहण होने पर ही तमाम लेख लिखे जाते हैं और चर्चाएं होती हैं। अब चंद्र अभियान के ४० साल पर बात की जाए। बज एल्ड्रिन ने कहा है कि अब चंद्रमा पर दुबारा जाने के अभियान को इतना महत्व न देकर मंगल पर जाने की तैयारी की जानी चाहिए। नासा सन २०२० में चंद्रमा पर जाने के एक और अभियान के बारे में सोच रहा है। इस पर एल्ड्रिन ने कहा कि यह सनकीपन छोड़ कर मंगल ग्रह पर जाने पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चंद्रमा पर हमारे पहुंचने के ४०वें साल पर यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मंगल पर जाने का अभियान अत्यंत उत्सुकता भरा है और इससे हमें कई उपयोगी जानकारियां मिलेंगी।
2 comments:
आभार जानकारी के लिए.
बहुत बढ़िया लिखा, विनय जी.
बहुत दिनों बाद दिखे आप.
Post a Comment