Monday, July 13, 2009

जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं

दक्षिण एशिया में मौसम के बदलाव का व्यापक असर देखा जा रहा है.दुनिया की जानी मानी संस्था ऑक्सफ़ैम का कहना है कि पर्यावरण में हो रहे बदलावों के कारण ऐसी भुखमरी फ़ैल सकती है जो इस सदी की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी साबित होगी.इस अंतरराष्ट्रीय चैरिटी की नई रिपोर्ट के अनुसार पर्यावरण में बदलाव ग़रीबी और विकास से जुड़े हर मुद्दे पर प्रभाव डाल रहा है. इटली में जी आठ देशों के सम्मेलन से पहले ऑक्सफ़ैम ने धनी देशों के नेताओं से अपील की है कि वो कार्बन उत्सर्जन में कमी करें और ग़रीब देशों की मदद के लिए 150 अरब डॉलर की राशि की व्यवस्था करें.ऑक्सफ़ैम का कहना है जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया, अफ्रीका और लातिन अमरीकी देशों में ग़रीब लोग और ग़रीब होते जा रहे हैं. इन देशों में किसानों ने ऑक्सफ़ैम से कहा है कि बरसात का मौसम बदल रहा है जिससे उनको खेती में दिक्कतें हो रही हैं.ये किसान कई पीढ़ियों से खेती के लिए मौसमी बरसात पर ही निर्भर रहे हैं लेकिन अब बदलते मौसम के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है.रिपोर्ट के अनुसार भारत और अफ़्रीकी देशों में बारिश के मौसम में बदलाव के कारण अगले दस वर्षों में मक्के के उत्पादन में पंद्रह प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.इतना ही नहीं बढ़ती गर्मी के कारण मलेरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं और उन इलाक़ों में जा रही हैं जहां पहले इस बीमारी के फैलने की संभावनाएं नहीं थीं.मौसम के बारे में सही अनुमान नहीं लग रहे हैं और दुनिया के कई इलाक़ों में अप्रत्याशित तौर पर बाढ़, आंधी तूफ़ान और जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं.ऑक्सफ़ैम ने धनी देशों से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए वो निजी तौर पर ज़िम्मेदारी लें और निष्पक्ष तरीके से काम करें ताकि एक मानवीय त्रासदी को रोका जा सके.रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक देशों को अपने कार्बन उत्सर्जन में 2020 तक कम से कम 40 प्रतिशत की गिरावट करनी चाहिए. इतना ही नहीं धनी देशों को ग़रीब देशों की मदद के लिए 150 अरब डॉलर का एक कोष तैयार करना चाहिए ताकि इन देशों को अपना कार्बन उत्सर्जन कम करने और बड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद मिले. (बीबीसी से साभार)

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