विनय बिहारी सिंह
मेसाचुसेट्स विश्वविद्यालय के वैग्यानिकों ने प्रयोग कर दिखा दिया है कि अब बिजली के तार की जरूरत नहीं पडेगी। उन्होंने बिना तार के टीवी चला कर दिखाया भी है। तब बिजली कैसे टीवी तक जाती है? बिजली तो दीवार पर लगे एक यंत्र में है। वैग्यानिकों ने बताया है कि यह रिजोनेंस नामक सिद्धांत के कारण हुआ है। यह सिद्धांत है क्या? यह है ऊर्जा का स्थानांतरण। यानी अगर दो वस्तुओं की रिजोनेंस फ्रिक्वेंसी एक जैसी है तो उनकी ऊर्जा आपस में स्थानांतरित की जा सकती है। वैग्यानिकों किया यह है कि बिजली और टीवी की रिजोनेंस फ्रिक्वेंसी एक कर दी। तब आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि ऐसे में अगर कोई टीवी के पास जाएगा तो उसे करेंट नहीं लग जाएगा? क्योंकि टीवी में तो हवा के जरिए ही करेंट जा रहा है। करेंट के बीच में कोई खड़ा हो गया तो क्या झटका नहीं लगेगा? जी नहीं। वैग्यानिकों यह भी दिखा दिया कि उस फ्रिक्वेंसी पर कोई करेंट- वरेंट नहीं लगने वाला है। आखिर इस प्रयोग के पीछे की कहानी क्या है? एक वैग्यानिक रात को गहरी नींद में सो रहा था। उसके मोबाइल फोन या सेल की बैटरी लो यानी कमजोर हो गई और फोन टूं-टूं-टूं-टूं की जोर की आवाज करने लगा। वैग्यानिक की नींद टूट गई। उसने सेल आफ किया और सोचने लगा कि क्या कोई ऐसी तरकीब नहीं निकाली जा सकती कि मेरा मोबाइल अपने आप चार्ज हो जाए और मेरी नींद भी डिस्टर्ब न हो? सोचते- सोचते उसे रिजोनेंस सिद्धांत याद आया। उसने प्रयोग शुरू किया और तारों का जमाना खत्म होने की कल्पना साकार हो गई। आपको घर में कंप्यूटर लगाना है तो न जाने कितने तारों की जरूरत पड़ती है। फिर अगर उसे किसी दूसरे कमरे में ले जाना है तो फिर उतने ही तारों को हटाइए और नए कमरे में लगाइए। इससे आने वाले दिनों में निजात मिलने वाली है। वैग्यानिकों को बधाई।
3 comments:
ये तो बड़ी अच्छी ख़बर है.. तारों के जंजाल से मुक्ति।
भारत के अधिकांशा क्षेत्रों में तो आज भी शो पीस की तरह ही लगे हैं तार..बिजली आती कहाँ है :)
वैसे खबर अच्छी है.
bahut achha laga ye jaan kar..........
dhnyavaad !
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