विनय बिहारी सिंह
यह रिपोर्ट है साइंस एंड इनवायरमेंट सेंटर की। उसकी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि डालडा, रथ या जैमिनी जैसे वनस्पति ब्रांडों में ट्रांसफैट का स्तर जितना होना चाहिए उससे बारह गुना अधिक है। इससे स्वास्थ्य को नुकसान हो रहा है क्योंकि जरूरत से अधिक ट्रांसफैट बहुत हानिकारक है। सेंटर का तो यह भी कहना है कि इस तरह के वनस्पति खाने से हृदय रोग और मधुमेह होने का खतरा है। लेकिन सेंटर ने एक अच्छी रिपोर्ट यह दी है कि शुद्ध किए हुए खाद्य तेलों- सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी, सरसों, रेपसीड, पामोलीन वगैरह में ट्रांस फैट की मात्रा निर्धारित सीमा के अंदर है। इसेलिए ये सुरक्षित हैं। आम आदमी कैसे जाने कि कौन सा तेल खाने लायक है और कौन सा नहीं? डाक्टरों का कहना है कि खाद्य तेल ही खाना बेहतर है। इसमें पाली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है। लेकिन नारियल के तेल में यह कम पाया जाता है। डाक्टर तो यह भी कहते हैं कि भोजन में पाली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड की मात्रा कम होने से त्वचा के रोग हो जाते हैं। जिन तेलों में मोनो अन सेचुरेटेड फैटी एसिड होता है वे लेकिन नुकसान करते हैं -जैसे-बिना शुद्ध किया हुआ रेपसीड, सरसों का तेल। चावल के छिलकों से भी तेल निकाला जाता है लेकिन कोलकाता में इन दिनों इस पर प्रतिबंध सा है क्योंकि आरोप है कि कुछ लोग इसमें मिलावट करने लगे थे जो कि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा था। आज के जमाने में तो सबसे अच्छा है तेल या घी के अधिक सेवन से बचना। अगर आप बहुत शौकीन हैं तो हफ्ते में एक दिन पूड़ी या पराठा खाएं। लेकिन अगर और परहेज कर सकते हैं तो महीने में एक बार ही पूड़ी- पराठा खाएं और मजे से रहें। कई घरों में सब्जियों में भी काफी तेल पड़ता है। अगर कम तेल में खाना पकाया जाए तो इसका आनंद ही अलग है। एक तो आपका खर्च बचेगा और दूसरे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। कम तेल या घी में पकी सब्जियां भी बहुत स्वादिष्ट होती हैं अगर उन्हें प्रेम से बनाया जाए। लाल मिर्च को भी जानकार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताते हैं। कई लोग हलुआ बहुत पसंद करते हैं लेकिन यह बहुत ही गरिष्ट खाना है और जिनका पाचन तंत्र कमजोर है या जिन्हें कब्ज रहता है, वे तो हलुआ को दूर से ही नमस्कार कर लें। हमारे ऋषि- मुनियों ने कहा है कि भोजन को चार हिस्सों में बांट लेना चाहिए। दो हिस्से (यानी पेट का आधा हिस्सा) अनाज से भरना चाहिए। एक चौथाई हिस्सा सब्जियों से सूप से और बाकी हिस्सा भोजन के एक घंटे बाद पीने वाले पानी से। इस तरह भोजन करने वाला व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहेगा और उसे कभी गैस, अपच या कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी। लेकिन अगर ऐसा व्यक्ति खूब चाय या काफी पीता है, खूब सिगरेट पीता है तो यह सारा परहेज बेकार हो जाएगा। इसलिए धूम्रपान और ज्यादा चाय या काफी वगैरह से भी परहेज जरूरी है। और हां, कोल्ड ड्रिंक भी आपके स्वास्थ्य को चौपट करते हैं, इसलिए उनका स्वाद भी एक सीमा के भीतर ही लेना उचित है।
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