विनय बिहारी सिंह
अपनी छाती से
एक बार लगा लो
हे प्रभु
महसूस करना चाहता हूं
मैं आपकी उपस्थिति
जानता हूं
आप हैं इंद्रियातीत
और मैं इंद्रियोन्मुखी
तो राख हो जाएं
मेरी इंद्रियां
पर मुझे प्रेम करो
मेरे प्रभु
मुझे लगा लो
अपनी शांतिदायक, आह्लादकारी
सूक्ष्म छाती से।।
1 comment:
विनय बिहारी जी आज तो आपने मेरे भावों को शब्द दे दिये हैं ………एक यही चाहत है जो जीने नही दे रही ।
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