Saturday, January 14, 2012

मकर संक्रांति की पवित्रता

विनय बिहारी सिंह




आज मकर संक्रांति है। भारत के यह उन विशिष्ट पर्वों में से है जो निर्धारित तिथि १४ जनवरी को ही पड़ता है। आज सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यानी सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। यह एक अत्यंत पवित्र घड़ी है। आपको महाभारत की कथा याद होगी जब भीष्ण शर शय्या या बाणों के बिस्तर पर सोए हुए थे और अपने प्राणों को रोक रखा था कि जब सूर्य उत्तरायण होंगे तभी वे प्राण त्याग करेंगे। आज से सूर्य दक्षिणायन हो गया। इसीलिए पूरे देश में श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। सूर्य ग्यान और विवेक के प्रतीक हैं। समृद्धि के प्रतीक हैं। माना जाता है कि जिस क्षण सूर्य उत्तरायण होते हैं, यानी मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उनकी किरणों का प्रभाव विलक्षण हो जाता है। भले ही सूर्य देव सुबह- सुबह न दिखते हों, बादलों में छुप गए हों लेकिन उनकी किरणें अपना असर करती रहती हैं। एक साधु कहते हैं कि जिसे यह विश्वास न हो वह घर में सोया रहे। लेकिन जो विश्वास करते हैं, वह नदी में नहीं तो घर में ही स्नान करते हैं। भले ही गर्म पानी से ही स्नान क्यों न हो। सुबह- सुबह स्नान करते हैं और ईश्वर से अपने जीवन में सफल होने की प्रार्थना करते हैं। सूर्य शक्ति के भी प्रतीक हैं। अनंत शक्ति के प्रतीक। सूर्य न हो तो जीवन भी नहीं होगा। इस तरह यह पर्व सूर्य पर केंद्रित है और सूर्य के उत्तरायण होने का महत्व हम सभी जानते हैं। आइए कामना करें कि आज के बाद पूरी दुनिया में शांति और समरसता का माहौल बने। प्रेम और भाई चारे का माहौल बने। हरि ऊं तत्सत।

No comments: