Friday, January 13, 2012

उजाला और अंधेरा

विनय बिहारी सिंह




एक प्रसिद्ध कथन है- जब आप प्रकाश में रहते हैं तो लोग आपके पीछे चलते हैं। लेकिन जब आप अंधेरे में रहते हैं तो आपकी छाया भी आपका साथ छोड़ देती है। कितनी सुंदर बात है। अंधेरा यानी- काम, क्रोध, लोभ, नकारात्मक भावनाएं- घृणा, जलन, कुढ़न, ईर्ष्या, किसी के बारे में बुरा सोचना आदि..। प्रकाश का अर्थ है- ईश्वर के बारे में सोचना, उनकी लीलाओं के बारे में सोचना, पढ़ना और बातें करना। प्रेम, करुणा और मदद करना। क्षमता के मुताबिक दान देना। आदि। पहले लोग तालाब, बावड़ियां, धर्मशाला आदि खूब बनवाते थे। नदियों के घाट बनवा देते थे। उन्हें यह सब करके बहुत सुख मिलता था। आज अधिसंख्य लोगों में सब कुछ अपने पास रखने की प्रवृत्ति हो गई है। किसी के पास कोई सामान है, आपको उसकी जरूरत है। लेकिन जब आप मांगेंगे तो वह व्यक्ति कोई बहाना कर देगा। हालांकि वह सामान उसके घर में बेकार ही पड़ा है। ऋषियों ने कहा है- आप जैसा करेंगे, वैसा ही पाएंगे। यदि आप दूसरे को चूना लगा रहे हैं तो कोई अन्य व्यक्ति आपको चूना लगा देगा। ऋषियों की बातें कभी झूठी नहीं हो सकतीं। धर्मग्रंथों में वेदों में लिखी बातें सदा के लिए सत्य हैं। धर्म ग्रंथों में लिखा है- किसी से धोखा मत कीजिए। प्राचीन काल में यह जितना सच है, आज भी उतना ही सच है। धर्मग्रंथों में लिखा है- चुगली न करें। यह आज भी प्रासंगिक है। एक और अच्छी उक्ति है- किसी को हराना आसान है। लेकिन किसी का दिल जीतना बहुत मुश्किल है। विजेता वही है जो प्रेम से किसी का दिल जीत ले। वही सबसे सुखी प्राणी होगा।

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