Saturday, January 21, 2012

जगन्माता हर जगह

विनय बिहारी सिंह




प्राचीन काल के विख्यात काली भक्त रामप्रसाद ने कहा है कि जगन्माता हर जगह हैं। लेकिन जो अंधे हैं, वे देख नहीं पाते। अंधे से उनका तात्पर्य उनसे है जो भक्त नहीं हैं। वे कहते थे- कौन कहता है कि ईश्वर नहीं हैं। वे इस सृष्टि के कण कण में विद्यमान हैं। एक पत्ता तक नहीं हिलता उनकी मर्जी के बिना। और कई लोग कहते हैं कि कहां है भगवान? अरे भाई, तुम्हारी आंखों पर पर्दा लगा हुआ है। तुम अंधे हो गए हो। हटाओ प्रपंच का पर्दा। यह पर्दा तभी हटेगा जब जगन्माता की भक्ति में गहरे डूब जाओगे। जगन्माता बड़ी कृपालु हैं। वे अपने भक्त की पीड़ा सहन नहीं कर पातीं। वे भक्त की मदद करने को आतुर रहती हैं। मां तो तभी बच्चे तो दूध पिलाती है जब वह रोता है। भक्त की मदद जगन्माता तो हमेशा करती रहती हैं। लेकिन जब भक्त पुकारता है तो मां को अच्छा लगता है। कौन सी ऐसी मां होगी जिसे अपने बच्चे का पुकारना अच्छा नहीं लगता होगा? ठीक इसी तरह जगन्माता को भी हमारी पुकार अच्छी लगती है। वे चाहती हैं कि हम उनको पुकारें। लेकिन हम हैं कि जगत प्रपंच में पड़े रहते हैं। जगन्माता सचमुच हर जगह मौजूद हैं। वे अत्यंत कृपालु हैं।

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