Wednesday, September 28, 2011

प्राण यानी लाइफ फोर्स क्या है?


विनय बिहारी सिंह



हम सभी जानते हैं कि प्राण है तो हमारा जीवन है। प्राण नहीं तो शरीर मृत हो जाता है। यह प्राण मनुष्य के शरीर को संचालित करता है। प्राण पांच प्रकार के बताए गए हैं- १. प्राण (श्वांस लेना), २. अपान ( उत्सर्जन) ३. उदान (मेटाबोलिज्म, निगलने की शक्ति), ४. समान (पाचन) ५. व्यान (संचार, रक्त संचार आदि)। ये प्राण शरीर में ठीक से काम नहीं करते तो आदमी बीमार हो जाता है। प्रकृति के विरुद्ध काम करने से मनुष्य का शरीर विद्रोह करने लगता है। इसीलिए ऋषियों ने कहा है- आपका शरीर मंदिर है। इसमें हानिकारक पदार्थ न डालें। सिर्फ पवित्र और स्वास्थ्य वर्द्धक वस्तुओं का ही सेवन करें। जब प्राण चले जाते हैं तो व्यक्ति अपने सूक्ष्म शरीर में चला जाता है। ऋषियों ने कहा है कि प्राण चले जाने के बाद भी मनुष्य सूक्ष्म शरीर से देख सकता है, सुन सकता है, सूंघ सकता है, स्पर्श कर सकता है। उसे अब भोजन और श्वांस की आवश्यकता नहीं होती। यह बहुत ही दिलचस्प विषय है। मनुष्य अपने शरीर को इतना महत्वपूर्ण मानता है, लेकिन एक दिन वह भी उसका साथ छोड़ देता है। जो चीज हमेशा उसके साथ रहती है, वह है ईश्वर से संपर्क। यदि शरीर में रहते रहते मनुष्य ईश्वर से नजदीकी बना लेता है तो मृत्यु के बाद उसे ईश्वर की गोद, ईश्वर का साम्राज्य मिलता है। ऐसे योगी को जीवित रहते हुए ही प्रभु यह बता देते हैं कि उसके शरीर में प्राण रहें या नहीं वह सदा के लिए उनके साम्राज्य में आ गया है। इसी आनंद में सिद्ध पुरुष सदा रहते हैं। उनके मन में और कोई इच्छा नहीं रहती। वे ईश्वर के साम्राज्य में आनंद मग्न रहते हैं। और चाहिए भी क्या? ईश्वर ही मिल गए तो बाकी चीजें क्या होंगी? जब अनंत साम्राज्य मिल गया तो अंश के लिए क्या सोचना और चिंता करना?

1 comment:

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर …………ज्ञानवर्धक