Monday, September 5, 2011

थामस अल्वा एडिसन

विनय बिहारी सिंह




अमेरिकी वैग्यानिक थामस अल्वा एडिसन बिजली के बल्ब के अविष्कारक थे। बल्ब के अविष्कार के दौरान उन्हें अनेक असफलताएं मिलीं। अंत में वे बल्ब बनाने में सफल हो गए। तभी उनके प्रयोगशाला में भयानक आग लगी। एडिसन शांत हो कर अपनी प्रयोगशाला को जलते देख रहे थे। उनके बेटे ने पिता से सहानुभूति जताई क्योंकि प्रयोगशाला में मौजूद अत्यंत महत्वपूर्ण चीजें जल कर राख हो रही थीं। एडिसन बोले- मैं बहुत खुश हूं। बेटे को आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि शायद डैड सदमे में ऐसा कह रहे हैं। लेकिन एडिसन ने कहा- मैं सचमुच खुश हूं। मेरी सारी असफलताएं इस प्रयोगशाला के साथ जल कर राख हो गईं। अब मैं आराम से नए सिरे से बल्ब बनाऊंगा। तब बेटे की समझ में आया- उसके पिता सचमुच महान हैं। वे हर घटना के प्रति अच्छी भावना से सोचते हैं। वे अपने लक्ष्य के प्रति मजबूती से बढ़ते हैं। वे दृढ़ निश्चयी और सकारात्मक सोच वाले हैं। योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के सिद्ध सन्यासी स्वामी शुद्धानंद जी ने कहा- व्यक्ति को ऐसा ही होना चाहिए। अच्छा काम करें और उसके प्रति दृढ़ रहें। भक्ति करें तो उसके प्रति दृढ़ रहें। ढुलमुल नहीं। जो भी काम हाथ में लें, उसे मनोयोग से पूरा करें। ईश्वर हमसे यही चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि हम सुस्त, लापरवाह या खराब चिंतन करने वाला व्यक्ति बनें। वे चाहते हैं कि हम उन पर भरोसा करें। उनसे प्रेम करें और निश्चिंत हो अच्छा काम करते रहें।

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