मित्रों अचानक ब्लाग लिखने की इच्छा नहीं हो रही है। सोच रहा हूं कि कुछ दिन लिखने को विराम दूं। कम से कम एक हफ्ता या डेढ़ हफ्ता। इससे शायद कुछ फर्क पड़े। यह ईश्वरीय चर्चा से ऊबना नहीं है। ईश्वर तो हृदय में हैं, प्राणों में हैं, हमारी हर सांस में हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि सिर्फ लेखन से विराम लेना पड़ता है। यह विराम सकारात्मक होता है। मेरा न लिखना भी सकारात्मक और ऊर्जा से भरा हुआ कदम है। इसे कृपया निगेटिव अर्थ में न लें। कृपया इसकी इजाजत दें। बहुत बहुत धन्यवाद।
विनय बिहारी सिंह
1 comment:
antrman me baithha eeshvar hamse jo karveeye ...theek hai , is man ko shant aur jyotrmy rahna chahiye bas ...
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