Wednesday, September 14, 2011

बाबा लोकनाथ

विनय बिहारी सिंह



बाबा लोकनाथ का लोकप्रिय नाम- लोकनाथ ब्रह्मचारी है। वे सिद्ध संत थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल की बसीरहाट तहसील (जिला- उत्तर चौबीस परगना) में २९ अगस्त १७३० को हुआ था। उन्होंने १८९० ईस्वी में समाधि की अवस्था में अपना शरीर छोड़ दिया। वे लगभग १६० वर्षों तक अपने शरीर में रहे। पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और अन्य अनेक स्थानों पर बाबा लोकनाथ के मंदिर हैं। उनके भक्त उनका जन्मदिन भव्य तरीके से मनाते हैं। कोलकाता में तो यह भव्य आयोजन मैंने अपनी आंखों से देखा है। बचपन से लेकर नब्बे वर्ष तक की आयु तक बाबा लोकनाथ ने कठिन तप और ध्यान किया। वे बिना कुछ खाये- पीये कई- कई दिनों तक ध्यान करते रहते थे। जब वे नब्बे वर्ष के हुए तो उन्हें ईश्वर के साक्षात दर्शन हुए। इसके बाद उन्होंने कई देशों की यात्राएं की। उनके पास आशीर्वाद लेने जितने लोग गए, आनंदित हो कर लौटे।
उनका कहना था- मन और इंद्रियों का नियंत्रण बहुत आवश्यक है। इस नियंत्रण के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है।
अपना शरीर छोड़ने से पहले उन्होंने अपने भक्तों से कहा था- मैं सूक्ष्म रूप से हमेशा मौजूद रहूंगा। यह मत समझना कि मेरा शरीर नहीं है तो मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर सकता। तुम जब भी पुकारोगे, मैं हाजिर हो जाऊंगा।