Monday, September 12, 2011

यह है अनन्य विश्वास

विनय बिहारी सिंह



योगदा सत्संग सोसाइटी आफ इंडिया के सन्यासी स्वामी कृष्णानंद जी का लिखा एक प्रसंग पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। उन्होंने लिखा है- इगतपुरी आश्रम (जिला- नासिक, महाराष्ट्र) में अपनी कुटिया में बैठा था कि देखा पक्षी ने सामने पेड़ पर बच्चों को जन्म दिया है। मां- बाप बच्चों के लिए आहार ले आए तो बच्चों ने मुंह खोल दिया। आहार प्राप्त किया। इसी तरह जब- जब मां- बाप आहार ले आते थे, बच्चे मुंह खोल देते थे- आ..... और भोजन स्वीकार करते थे। बच्चों को इससे कोई मतलब नहीं था कि खाना कैसा है, स्वादिष्ट है या नहीं, पौष्टिक है या नहीं। बस पूरे विश्वास के साथ बच्चे वह भोजन ग्रहण कर रहे थे, जिसे उनके मां- बाप दे रहे थे। यह है पूर्ण विश्वास। इसी तरह मनुष्य को भगवान के प्रति पूर्ण विश्वास होना चाहिए। बिना कुछ सोच विचार किए, भगवान में पूर्ण विश्वास। वही हमारे मां- बाप हैं। वही हमारे सर्वस्व हैं। बस भगवान में शरणागति। इसी में सुख है।

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