Tuesday, October 20, 2009

गन्ने के रस से चल सकती है कार

विनय बिहारी सिंह

एक डच माइक्रोबायलाजिस्ट ने प्रयोग कर दिखा दिया है कि पेट्रोल या डीजल के बदले गन्ने के रस से कार चलाई जा सकती है। यही नहीं, मकई (कार्न) से सुंदर कपड़े बन सकते हैं। इसके बाद से ही यह बहस छिड़ गई है कि यह प्रकृति के साथ छेड़छाड़ है। गन्ने का रस मिठास के लिए है तो उसे वही रहने दिया जाए। इससे कार का ईंधन बनाना अनुचित है। अगर पेट्रोल की जगह गन्ने का रस इस्तेमाल होने लगा तो फिर चीनी की भारी कमी हो जाएगी क्योंकि कारें लगातार बढ़ रही हैं और पेट्रोल की खपत का कोई अंत नहीं दिख रहा है। ऐसे में लोग मिठास के लिए तरसने लगेंगे। इसी तरह मकई का पौधा अगर कपड़े बनाने में इस्तेमाल होने लगा तो लोग कार्न से बनने वाली पौष्टिक चीजों से वंचित रह जाएंगे। यह माइक्रो युग है। यानी सूक्ष्म की तरफ जाने की यात्रा है। हमारे ऋषि- मुनि ध्यान के माध्यम से ही सूक्ष्म की यात्रा करते थे और कणाद ऋषि ने ध्यान के जरिए ही बता दिया था कि हर वस्तु अणुओं से बनी है। कणाद ऋषि जैसे ही पराशर और अगस्त्य ऋषि थे। इन लोगों ने भी जो वैग्यानिक व्याख्याएं की हैं, नक्षत्रों और ग्रहों के बारे में जो विचार प्रकट किए हैं, वह अद्भुत है। ऋषि मार्कंडेय ने भगवान शिव और पार्वती की जो व्याख्या की है, वह अतुलनीय है। कई बार प्राचीन काल के वाहनों की याद आती है। कुछ रथ ऐसे होते थे जो तकनीकी रूप से इतने विकसित होते थे कि घोड़े ने जरा सा जोर लगाया और रथ घोड़े के साथ सरपट दौड़ने लगा। धीरे- धीरे रथों का विकास होता गया। उनकी सजावट, बनावट और पहियों में काफी कुछ परिवर्तन होता गया। बाद में कारें आईं। लेकिन प्राचीन काल में रथों के विकास का जो क्रम है, उससे लगता है कि निरंतर बेहतरी की तरफ यात्रा जारी थी। जहां तक ऋषियों की बात है तो वे लोग सूक्ष्म शरीर से अंतरिक्ष की यात्रा तो करते ही थे, जहां चाहे वहां जा सकते थे। लेकिन वे अनावश्यक रूप से कहीं आते- जाते नहीं थे। कोई भी संत, ऋषि या महात्मा किसी भी काल में घूमने के उद्देश्य से कभी नहीं निकला। वे कहीं जाते थे तो जनकल्याण के लिए जाते थे। किसी अन्य महात्मा से मिलने या किसी तीर्थ या कहीं किसी मंदिर की स्थापना या लोक शिक्षा के लिए। निरूद्देश्य वे कभी कहीं नहीं जाते थे।

2 comments:

Mishra Pankaj said...

वाह विनय जी नायब तरीका
मस्त है भाई

शरद कोकास said...

ऐसा हो जाये तो कितना अच्छा हो