Saturday, October 31, 2009

उच्च रक्तचाप से पीड़ितों की संख्या बढ़ी

विनय बिहारी सिंह

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेसर ) और ब्लड सुगर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सिर्फ भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में। लेकिन भारत में तुलनात्मक दृष्टि से इन रोगों के मरीजों की संख्या तीन गुनी है। वजह है- अनियमित खानपान। इन दिनों चाऊमिन, बरगर और पित्जा से लेकर तरह- तरह के पकौड़ों का चलन है। इनमें पोषक तत्व कितने हैं, यह शोध का विषय है। लेकिन जानकारों का मानना है कि फास्ट फूड खाना सेहत को खराब करना है। वैसे भी सदियों से डाक्टर कहते आए हैं कि ज्यादा तला या फ्राई किया हुआ खाना पाचन प्रणाली को बिगाड़ता है। लेकिन आजकल फास्ट फूड ही चलन में आ गया है। फुटपाथों पर चाऊमिन की दुकानों पर भीड़ रहती है। छोटे शहरों में भी चाऊमिन की बहार है। इसमें पोषक तत्व न के बराबर रहता है। सिर्फ पेट भरता है। दूसरी वजह है- ब्रेड के साथ सॉस और जेली खाने आदत। आजकल अक्सर लोग ब्रेड पर ये चीजें लगाते हैं और चाव से खाते हैं। ऐसी चीजें लगातार और खूब खाने से ब्लड सुगर बढ़ता है जिसे हम हिंदी में रक्त शर्करा कहते हैं। कई लोग दिन भर चाय पीते रहते हैं। वे यह सुनना पसंद नहीं करते कि दिन भर में तीन- चार कप से ज्यादा चाय पीना स्वास्थ्य को चौपट करता है। इन दिनों जो भी डिब्बाबंद मीठा खाद्य पदार्थ आ रहा है, उसे लगातार नहीं खाना चाहिए, ऐसा डाक्टरों का मानना है। अपने देश में कुपोषण के शिकार बच्चे या बड़ों को भी कई बार ब्लड सुगर की बीमारी हो जाती है। इसके ठीक उलट विदेशों में मोटे लोगों को ब्लड सुगर से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़ रही है। जैसे हमारे यहां कुपोषण के शिकार लोग ज्यादा हैं, ठीक उसी तरह विदेशों में अतिरिक्त पोषक तत्व खाने और मोटे हो जाने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। यूरोपीय देशों में कुपोषण से पीड़ित लोग कम और मोटे लोग ज्यादा हैं। कहीं के भी लोग हों, खानपान में सावधानी बरतना हर जगह जरूरी है। आज भी डायटीशियन कहते हैं- सुबह आठ बजे नाश्ता कीजिए। दोपहर बारह- एक बजे भोजन, शाम को हल्का सा नाश्ता जैसे कि बिस्कुट और चाय या टोस्ट और चाय। फिर रात को भोजन। भोजन में हरी सब्जियों की मात्रा ज्यादा रहे। सब्जी कम से कम तेल में पकी हो और पराठा या पूड़ी हफ्ते में एक बार ही ठीक है। और ज्यादा तो अच्छा यह है कि पूड़ी और पराठा छठे- छमासे ही खाया जाए। हां, जितना ज्यादा फल खा सकें वही अच्छा। यह बात मैं विशेषग्यों के मुंह से सुन कर लिख रहा हूं। मौसमी फल चाहे एक ही क्यों न हों, खाना ठीक है। महंगाई तो हमेशा रहेगी और बढ़ती भी रहेगी। लेकिन स्वास्थ्य को ठीक रखना भी जरूरी है। जो लोग चाय, सिगरेट, पान, गुटखा और अन्य नशीली चीजों के आदी हैं, उन्हें इन विषैले पदार्थों को जितनी जल्दी हो त्याग देना चाहिए। बीमार पड़ने से अच्छा है, पहले ही सावधानी बरत ली जाए। वरना दवाएं जिस तरह महंगी हो रही हैं, बीमार पड़ना एक भारी बोझ की तरह बन जाएगा। तो क्यों न सादा जीवन उच्च विचार वाला अपने पुरखों का जीवन जीएं और सुख से रहें।

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