विनय बिहारी सिंह
एक बार युधिष्ठिर और दुर्योधन को उनको गुरु ने अलग- अलग काम दिया। युधिष्ठिर को कहा गया कि वे शाम तक सबसे बुरे आदमी को खोज कर लाएं। दुर्योधन को कहा गया कि वे शाम तक सबसे अच्छे आदमी को खोज कर लाएं। दोनों अपनी- अपनी खोज में निकल पड़े। शाम हुई तो दोनों गुरु के पास पहुंचे। सबसे पहले दुर्योधन से पूछा गया- कहां है तुम्हारा सबसे अच्छा आदमी? दुर्योधन ने कहा- मुझे तो कोई सबसे अच्छा आदमी दिखा ही नहीं। सबमें कुछ न कुछ बुराई है। इसलिए मैं खाली हाथ लौटा हूं। तब युधिष्ठिर को बुलाया गया और पूछा गया- कहां है सबसे बुरा आदमी? युधिष्ठिर ने कहा- गुरुवर, मुझे तो कोई बुरा आदमी दिखा ही नहीं। मैंने जिस पर नजर डाली, अच्छा आदमी दिखा । इसीलिए मैं खाली हाथ लौटा। उनके गुरु ने कहा- यह तुम्हारे ग्यान के लिए है। जिसकी जैसी नजर होती है, उसे वैसा ही दिखता है। जिसके मन में बुराई रहेगी, वह सबको उसी नजर से देखेगा। जिसके मन में वासना होगी, वह सबको वासना की नजर से ही देखेगा। जिसके मन में पवित्रता रहेगी, वह सबको पवित्र नजर से ही देखेगा। अगर हम ठान लें कि जिस ईश्वर ने हमें पैदा किया, उसे जान कर रहेंगे तो ईश्वर खुद ही हमारी इस कोशिश में मददगार हो जाएंगे। वरना छुपे ही रहेंगे। एक व्यक्ति ने एक महात्मा से प्रश्न किया कि ईश्वर ने इतनी बड़ी सृष्टि की, अनंत प्रकार के सुंदर दृश्य बनाए, हमें पैदा किया और खुद क्यों छुपे रहते हैं? कोई उन्हें देख क्यों नहीं पाता? महात्मा ने उत्तर दिया- यही ईश्वर की महानता है। वरना हम कोई छोटा सा भी पराक्रम करते हैं तो चाहते हैं कि दुनिया को पता चल जाए कि मैंने अमुक काम किया है। किसी की मदद करते हैं तो चाहते हैं कि लोग हमारी प्रशंसा करें कि मैंने अमुक की मदद की। एक समाजसेवक के रूप में ख्याति मिले। लेकिन ईश्वर ने एक सूक्ष्म जीव से लेकर हाथी तक बनाया है। पहाड़, नदियां और आसमान बनाया है लेकिन खुद को छुपा कर रखते हैं। उन्हें सिर्फ वही देख सकता है जो उन्हें दिल से प्यार करता है। यह आसान भी है और कठिन भी। अगर आपका दिल ईश्वर के लिए पिघल गया तो आसान है और अगर आपके मन में शंका पैदा हो गई कि ईश्वर है भी कि नहीं, तो फिर आप खोजते- खोजते पस्त हो जाएंगे तो भी ईश्वर की अनुभूति आपको नहीं होगी। जो लोग रास्ता चलते ईश्वर को पा लेना चाहते हैं, वे निराश होते हैं और अंत में कहते हैं- कहां, ईश्वर तो है ही नहीं। होता तो क्या दिखता नहीं? बस ऐसे लोग भ्रम में ही फंसे हुए पूरा जीवन बिता देते हैं। जैसे हर चीज को पाने का एक तरीका है, पद्धति है, वैसे ही ईश्वर को भी पाने की एक पद्धति है। पातंजलि योग सूत्र इसी की व्याख्या करते हैं।
2 comments:
बहुत आभार आपका.
बहुत ही उपयोगी लेख के लिए धन्यवाद
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