Friday, October 9, 2009

सोने से मढ़ा है ज्वालाजी के मंदिर का गुंबद



विनय बिहारी सिंह


ज्वालाजी के मंदिर का वर्णन अधूरा रह गया था। इसलिए इसे पूरा करना आवश्यक लगा। ज्वाला देवी के मुख्य मंदिर और उनके विश्राम गृह के बड़े गुंबद सोने सेमढ़े गए है। मुख्य मंदिर के दरवाजे चांदी से मढ़े गए हैं। एक वेबसाइट के मुताबिक ज्वाला देवी के मुख्यमंदिर में पहले ९ ज्वालाएं थीं। उनके नाम थे- महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी,हिंगलाज, विंध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंबिका और अंजी देवी। लेकिन मैंने अपनी आंखों से सिर्फ दो ज्वालाएं ही देखी। इनके नाम भी अलग- अलग नहीं थे। दोनों ज्वालाओं या ज्योतियों को ज्वालादेवी या ज्वालामुखी देवी कहा जाता है। ज्योतियों की मोटाई दो ऊंगलियों के बराबर थी। कहा जाता है कि पांडवों ने इन ज्योतियों के दर्शन किए थे और दर्शन के बाद उन्हें अद्भुत शांति मिली थी। मंदिर को लेकर बादशाह अकबर के आकर्षण के बारे में पहले ही बताया जा चुका है। यह स्थान ५१ शक्तिपीठों में से एक है। एक अन्य कथा है- भगवान शंकर जब पार्वती जी के मृत शरीर को लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे तो पूरे ब्रह्मांड में हलचल मच गई। तब भगवान विष्णु ने पार्वती जी के शरीर को विभिन्न हिस्सों में विभाजित किया जो ५१ जगहों पर गिरे। इन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है। ज्वालाजी के मंदिर के स्थान पर पार्वती जी की जीभ गिरी। जीभ गिरते ही ज्वाला या ज्योति के रूप में परिवर्तित हो गई। इस शक्तिपीठ पर साधक पूजा, अर्चना और जप इत्यादि करते हैं। मान्यता है कि किसी भी शक्तिपीठ पर श्रद्धा से पूजा- अर्चना करने से मनुष्य पर जगन्माता की विशेष कृपा होती है। लेकिन यह कृपा उन्हीं पर होती है जो जगन्माता को प्रेम करते हैं और उन्हें अपनी मां मानते हैं। एक बार जाकर फूल, फल मिठाई और अगरबत्ती चढ़ा कर फिर प्रपंच में फंसने से उतना लाभ नहीं होता। हां, कुछ लाभ तो होता है। लेकिन विशेष लाभ उन्हीं को मिलता है जो माता की शरण में रहते हैं। गीता के नौवें अध्याय में भगवान कृष्ण ने कहा है कि वे ही अग्नि हैं, वे ही होम हैं और वे ही हवन की प्रक्रिया भी हैं। अन्य अध्याय में उन्होंने कहा है कि अग्नि का तेज भी मैं ही हूं। यानी भगवान ही अग्नि हैं। इस तरह ज्वाला देवी को अति श्रद्धा से पूजा जाता है तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हमारी कार का ड्राइवर ज्वाला देवी का भक्त था। ड्राइवर के मुताबिक उसके कई परिचित जब भी संकट में होते हैं, मंदिर में जाते हैं और माता से प्रार्थना करते हैं। उनकी समस्या हल हो जाती है। यह आस्था हमने कोलकाता के कालीमंदिर के प्रति भी देखी है। आस्था में ताकत होती है, इससे कौन इंकार कर सकता है। हां, लेकिन ऐसी घटनाएं तभी होती हैं जब आदमी में गहरी आस्था हो।

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