विनय बिहारी सिंह
गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है-
राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरी द्वार।तुलसी भीतर बाहेरहुं जौं चाहसि उजियार।।
यानी अगर अपने भीतर और बाहर दिव्य ज्योति का प्रकाश चाहते हैं तो रामनाम की मणि को अपनी जीभ पर पर सदा के लिए रख लीजिए।
एक अन्य भक्त कवि ने कहा है-
जबहि नाम हिरदै धर्यो भयो पाप को नास।मानौ चिनगी अग्नि की परी पुराने घास।।
यानी जब मैंने अपने हृदय में ईश्वर का नाम रखा, तो मेरे पाप यानी बुरे कर्म ऐसे जल गए मानो पुरानी सूखी घास में आग लग गई हो। रामचरितमानस में तुलसीदास ने कहा है-
सादर सुमिरन जे नर करहीं।भव बारिधि गोपद इव तरहीं।।
यानी जो अनन्य प्यार से ईश्वर का स्मरण करता है, वह अनंत भवसागर को इस तरह पार कर जाता है, जैसे कोई गाय के खुर से हुए गड्ढे को पार कर जाता है।
ये उदाहरण सिद्ध करते हैं कि दिल से ईश्वर का नाम लेने से कई बाधाएं कट जाती हैं। मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो रात के दो बजे तक राम नाम का जप करता है और ध्यान करता है। चाहे लाख बाधाएं आएं, वह इस कार्यक्रम को जारी रखता है। रात दो बजे उसके चेहरे पर जो आनंद देखने को मिलता है, उसका वर्णन करना मुश्किल है। चेहरे पर गहरी शांति और आनंद। एक वृद्धा भी लगभग ऐसी ही हैं। वे रात को दस बजे सोती हैं और चार घंटे बाद रात के दो बजे उठ जाती हैं। इसके बाद सुबह पांच बजे तक उनका जप और ध्यान चलता रहता है। वे रात को सिर्फ चार घंटे सोती हैं। लेकिन पूरे दिन उनके चेहरे पर जो आनंद देखने को मिलता है, वह अद्भुत है। लेकिन हां, यह जप या ध्यान दिल से हो। यह नहीं कि तोते की तरह रामनाम रट रहे हैं और मन हजार कोठों पर दौड़ रहा है। एक बार परमहंस योगानंद जी से उनकी चाची ने कहा- मैं जीवन भर माला जपती रही। लेकिन आज तक मेरी उन्नति नहीं हुई। तुम मेरी मदद करो। परमहंसजी ने कहा- पूज्यवर चाची जी, आप माला मशीन की तरह जपती हैं। हाथ माला फेरते हैं और दिमाग न जाने कहां- कहां दौड़ता रहता है। आप माला छोड़ दीजिए और ईश्वर में गहरा ध्यान लगाइए। जिससे संपर्क करना है, उसके प्रति गहरी आसक्ति नहीं रहेगी तो फिर काम कैसे बनेगा। चाची ने वैसा ही किया और उन्हें ईश्वर का अनुभव हुआ। संत कबीर ने भी कहा है- कर का मनका छोड़के, मन का मनका फेर।।
यानी हाथ की माला फेरना छोड़िए और मन की माला फेरिए। मन ईश्वर में रम गया तो माला- वाला का क्या काम?
1 comment:
hum apane mun ko din bhar alag alag kamo ma laga kar rkhata hai. hum kaisa apane man ko eak or do hours ka liya Iswere mai laga sakta hai. hum din bhar busy rhata hai. to hammara man dhyan ma kaisa lag sakta hai
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