Friday, January 7, 2011

द्रष्टा बनने का संदेश



विनय बिहारी सिंह

गीता के १४ वें अध्याय में भगवान कृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को द्रष्टा होना चाहिए। यानी सारा काम भगवान का है। आप संसार की समस्त घटनाओं को द्रष्टा भाव से देखिए। उसमें शामिल मत होइए। मन अगर उन घटनाओं से जुड़ जाएगा तो आपकी चेतना उसी में रहेगी। तब आप बंधन में रहेंगे। तुलसी दास ने कहा है- राम झरोखा बइठि के, जग का मुजरा लेहिं। यानी राम के झरोखे पर बैठ कर संसार को देखिए। भगवान की शरण में रह कर सब कुछ करना है। भगवान कृष्ण का संदेश भक्तों को बहुत शांति देती है। बहुत चिंता क्यों? बस यह कहना है कि प्रभु, यह लीजिए मेरी जिम्मेदारी। मेरी चिंताएं आपकी, मेरी समस्या आपकी। मेरी अच्छाई भी आपकी। लेकिन किसी बुरे काम के लिए भगवान की मदद नहीं मांगी जा सकती है। क्योंकि ज्योंही आप किसी का बुरा चाहेंगे, वह पलट कर आपके ऊपर आएगा। इसलिए हमेशा अच्छा सोचना चाहिए ताकि प्रभु हमारे ऊपर कृपा बरसाते रहें।

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