विनय बिहारी सिंह
अमेरिका के वनस्पति वैग्यानिक लूथर बरबैंक अपने विलक्षण प्रयोगों के लिए विख्यात रहे। वे महान योगी परमहंस योगानंद जी के शिष्य थे। आमतौर पर अखरोट के वृक्ष पर १२० सालों में फल लगते हैं। यानी अगर आपने अखरोट का पेड़ लगाया तो आप उसका फल नहीं खाएंगे, आपके बेटे या पोते- पोती खाएंगे। लेकिन लूथर बरबैंक ने अखरोट के पेड़ को रोपा और तभी से उसे समझाने लगे कि इतनी देर तक वे फल का इंतजार नहीं कर सकते। उन्हें उसका फल अभी खाना है। वे रोज उस पेड़ से बातें करते। उन्होंने अखरोट के पेड़ से गहरी दोस्ती कर ली। यह सिलसिला १२ साल तक चलता रहा। ठीक १२ साल बाद अखरोट में फल आए। वे अखरोट के फल जब पुष्ट हुए तो अत्यंत स्वादिष्ट थे। ये फल प्रेम के वशीभूत हो कर प्रकट हुए थे। तब से वह अखरोट हर साल फलने लगा। इसी तरह नागफनी के पौधे को समझा कर लूथर बरबैंक ने उन्हें बिना कांटा वाला पौधा बना दिया। उन्होंने इसी विधि से टमाटरों की विभिन्न किस्में पैदा कीं। लूथर बरबैंक कहते थे, जो कुछ भी है वह माइंड पावर है। इससे आप अच्छा से अच्छा काम कर सकते हैं। यही ईश्वर चाहते हैं।
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