विनय बिहारी सिंह
यह घटना मेरे कार्यालय में काम करने वाले एक व्यक्ति के साथ घटी। उनकी पत्नी अपनी एक महिला रिश्तेदार के साथ पुरी मंदिर में गई हुई थीं। यह रथयात्रा के चार- पांच दिन पहले की बात है। जो पुरी के जगन्नाथ मंदिर की प्रथाओं को जानते हैं उन्हें मालूम है कि वहां भगवान के दर्शन उन दिनों नहीं होते क्योंकि मंदिर के कपाट रथयात्रा के सात दिन पहले बंद रखे जाते हैं। बोलचाल की भाषा में कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ को बुखार हुआ है। लेकिन विद्वानों का है कि उस समय भगवान अपने भक्तों के कष्टों, दुखों और तनावों को विशेष रूप से अपने ऊपर लेते हैं और कष्टों का नाश करते हैं। वैसे तो भगवान हर समय अपने भक्तों का दुख हरते हैं। लेकिन रथयात्रा के पूर्व वे यह काम विशेष रूप से करते हैं। चूंकि इस काम के लिए एकांत चाहिए इसलिए वहां के भक्त कपाट बंद कर देते हैं। यह मंदिर प्रबंधन के आदेश पर होता है। तो मेरे सहकर्मी की पत्नी अपनी महिला रिश्तेदार के साथ मंदिर में गईं। मुख्य मंदिर के कपाट बंद देख कर उन्होंने पूछा- मंदिर बंद क्यों है? वहां के पंडितों ने जवाब दिया- भगवान जगन्नाथ को बुखार है। तब ये दोनों महिलाएं ठहाका लगा कर हंस पड़ीं। वे इस बात का मजाक उड़ाने लगीं कि भगवान को भी बुखार होता है। चूंकि ये महिलाएं बुखार के अंदर छिपे तत्व को नहीं जानती थीं, इसलिए वे हंसती रहीं। पंडितों इसका बुरा माना और कहा कि आपको ऐसा नहीं कहना चाहिए। ये महिलाएं कुछ देर तक मंदिर परिसर में घूमती रहीं। तभी उन्हें लगा कि उनका शरीर ठीक नहीं है। वे अपने होटल लौट आईं। होटल में लौटते ही उन्हें जोर का बुखार आया। दोनों ही महिलाएं बुखार से तप रही थीं। होटल वालों ने डाक्टर का प्रबंध किया। दवा शुरू हुई। वे लोग जब तक पुरी में रहे, बुखार से पीड़ित रहे। घर लौटे तो स्वस्थ हुए। चूंकि उस महिला के पति मरे कार्यालय में काम करते हैं, इसलिए उन्होंने पूरी गंभीरता से यह घटना सुनाई। इस पर एक व्यक्ति ने कहा- भगवान तो कृपालु हैं। वे प्रेम और दया के सागर हैं। इन महिलाओं को जो बुखार आया तो निश्चित रूप से इस बुखार के बहाने उनका भी कोई कष्ट, पाप या बुरा कर्म कट गया। इससे इन महिलाओं का लाभ ही हुआ। इस घटना को कुछ लोग अंध विश्वास भी कह सकते हैं। लेकिन मैंने इसमें अपनी ओर से कुछ नहीं जोड़ा है। उन्होंने मुझसे जो कुछ कहा, वही मैंने यहां लिख दिया है। यह उनकी आप बीती है। आप इस घटना को जो कुछ भी कहें लेकिन यह सच है।
ईश्वर की लीला कौन जानता है। हो सकता है उन महिलाओं के लाभ के लिए ही ज्वर हुआ हो..।
1 comment:
सही कह रहे हैं……………भगवान की लीला अपरम्पार है।
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