Friday, December 10, 2010

राम और ओउम


विनय बिहारी सिंह

विभिन्न संतों ने कहा है कि राम में ओउम छिपा हुआ है। ओउम या ओम ही इस सृष्टि का आदि शब्द है। उसी से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई। वही ब्रह्मांड का पोषण कर रहा है। और सारे जीवों का लय उसी में होगा। उच्च कोटि के संतों ने कहा है- अ, उ और म का अर्थ है- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। तो ओउम क्या है? इसका उत्तर है- ओउम ब्रह्म है। ईश्वर है। भगवान है। मंदिरों में घंटे की आवाज भी ओउम का ही द्योतक है। हर शब्द में ओउम छुपा हुआ है। एक संत हैं जो दिन रात ओम नमः शिवाय का जप करते रहते हैं। कभी मुंह से तो कभी मन ही मन। वे कहते हैं- ओम नमः शिवाय के जाप से मुझे असीम आनंद मिलता है। मैं पहले कई आशंकाओं से डरा रहता था। मैं घूमने वाला साधु हूं। किसी ने कुर्ता दे दिया तो पहन लिया। खाना दे दिया तो खा लिया। मैं सोचता था कि मैंने घर क्यों छोड़ा। यह ठीक है कि मैंने शादी नहीं की। मेरे ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं थी। मेरे मां- बाप का देहांत हो गया था। मेरे भाई- बहन अपने अपने संसार में रम गए थे। मुझे घर पर खाना, चाय और जलपान मिल जाता था। लेकिन मैं खुद को बंधन में पड़ा हुआ महसूस करता था। लेकिन जब से मैने ओम नमः शिवाय का जाप करना शुरू किया, मुझे असीम शांति मिली। मेरे मन के भीतर का डर खत्म हो गया। मैं निर्भय हो गया। अब मुझे इसकी चिंता नहीं कि मेरा क्या होगा। जैसे रामजी रखेंगे, रहूंगा। जब तक जीवित रखेंगे, रहूंगा। फिर उन्हीं में लीन हो जाऊंगा। जब वे हैं तो मुझे चिंता किस बात की। मेरा काम है- उनकी अराधना करना। मुझे दान में जो पैसे मिलते हैं, उन्हीं से कभी वृंदावन तो कभी मथुरा तो कभी बद्रीनाथ- केदारनाथ का दर्शन करता रहता हूं। ओम नमः शिवाय मेरे जीवन का आधार है। उनकी बातें सुन कर अच्छा लगा।

1 comment:

vandana gupta said...

सही कहा एक बार उस पर सब छोड दो और उसके नाम का सहारा ले लो फिर सारी चिन्ताये उसी की हो जाती हैं।