पारुल अग्रवाल
बीबीसी संवाददाता
अब तक यह माना जाता था कि धरती पर जीवन के छह प्रमुख तत्त्व हैं-कॉर्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फ़र और फ़ॉस्फ़ोरस.
इस साल अनुसंधानकर्ताओं ने कैलिफ़ॉर्निया की झील में एक ऐसा जीवाणु पाया जिसने फ़ॉस्फ़ोरस के बदले ज़हरीले रसायन आर्सेनिक को अपनी संरचना में शामिल कर लिया है.
इस खोज से यह धारणा पुष्ट हुई कि दूसरे ग्रहों पर अलग-अलग रसायनों से मिलकर बने जीवाणु और जीवन संरचनाएं भी मौजूद हो सकती हैं.
इस साल विश्व में पहली बार इस साल वैज्ञानिकों ने एंटी मैटर या प्रतिपदार्थ के अणुओं को कुछ क्षणों के लिए पकड़ने में भी सफलता पाई.
पदार्थ उसे कहते हैं जिससे कि पूरी दुनिया का निर्माण हुआ है. जब पदार्थ और प्रतिपदार्थ एक साथ जुड़ते हैं तो एक दूसरे का अस्तित्व समाप्त कर देते हैं और शेष कुछ नहीं बचता. इससे दुनिया की उत्पत्ति के बारे में काफ़ी जानकारी मिल सकती है.
उधर अमरीका में मंदी की मार का असर साल 2010 में नासा के अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर पड़ा.
अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वित्तीय तंगी के चलते 2020 में एक मानव दल के चांद पर जाने के कार्यक्रम को रद्द कर दिया. माना जा रहा है कि ये कार्यक्रम अब निजी हाथों में सौंपा जाएगा.
भारत के लिए एक दुखद घटना-- श्रीहरिकोटा से जीएसएलवी-एफ़06 यान के ज़रिए किया गया उपग्रह प्रक्षेपण विफल हो गया. प्रक्षेपण के कुछ ही समय बाद इसमें विस्फोट हो गया.
वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि नए संचार उपग्रह से टीवी, टेलीमेडीसन, टेलीशिक्षा और टेलीफ़ोन सेवाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी.
अगर ये मिशन सफल होता तो भारत अमरीका और रुस जैसे उन पाँच देशों की श्रेणी में शामिल हो जाता जिनके पास इस तरह की तकनीक है.
मैक्सिको की खाड़ी में हुआ तेल का रिसाव अमरीका के इतिहास में अब तक की सबसे भीषण पर्यावरण संबंधी दुर्घटना है.
साल 2010 को संयुक्त राष्ट्र की ओर से अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष घोषित किया गया. ये मौका था दुनिया को आगाह करने का कि जैव विविधता को नुकसान पहुंचा कर इंसान मुफ़्त में मिल रही प्राकृतिक सुविधाओं को किस तरह खत्म करता जा रहा है.
इस साल के इतिहास में अब तक की सबसे भीषण पर्यावरण संबंधित दुर्घटना भी दर्ज हुई. 20 अप्रैल 2010 को दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी के तेल के कुएं में विस्फोट हुआ.
मैक्सिको की खाड़ी में हुई इस दुर्घटना में 11 लोगों की मौत हो गई और समुद्र में 40 लाख बैरल से भी ज़्यादा तेल का रिसाव हुआ. समुद्री जीवन को भारी नुकसान के बाद तेल का यह रिसाव जुलाई में बंद हुआ.
अप्रैल के महीने में आइसलैंड में फटे एक ज्वालामुखी की राख ने यूरोप के कई देशों में हवाई सेवा को ठप कर दिया. एयर लाइंस की चिंता थी कि ज्वालामुखी की राख विमानों के इंजनों को जाम कर सकती है. छह दिनों तक हज़ारों उड़ानें बाधित रहीं और लाखों यात्री प्रभावित हुए.
25 साल की लगातार खोज के बाद मैडास्कर की एलाओट्रा झील में पाई जाने वाली चिड़िया एलाओट्रा ग्रेब को 2010 में विलुप्त घोषित कर दिया गया.
पीली चोंच वाले इस पक्षी का आकार इतना छोटा था कि यह ज़्यादा लंबी उड़ान नहीं भर सकता था. यही वजह है कि झील में मानवीय गतिविधियां बढ़ने के साथ यह पक्षी विलुप्त हो गया.
भारतीय पत्रकार पल्लव बागला को साल 2010 के लिए ‘अमेरिकन जियोफ़िसिकल यूनियन’ की ओर से विज्ञान क्षेत्र का प्रतिष्ठित ‘डेविड पर्लमेन अवार्ड’ मिला.
अपनी रिपोर्ट के ज़रिए पल्लव ने अमरीकी संस्थान आईपीसीसी द्वारा 2035 तक हिमालय के ग्लेशियर पिघलने के दावों की कलई खोली.
आईपीसीसी ने इस संबंध में अपनी गलती को स्वीकार किया और आंतरिक जांच के आदेश दिए.
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंडे और मुर्गी में से पहले मुर्गी आई.
बढ़ती उम्र इंसान को कभी रास नहीं आई. शायद यही वजह है कि हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने वृद्ध चूहों को जवान बनाने का प्रयोग शुरु किया.
वृद्ध चूहों के शिथिल अंगों में सुधार ने उनकी उम्र की रफ़्तार को उलट दिया गया और ये चूहे वृद्धावस्था से जवानी की ओर चल पड़े.
शोध कहता है कि ये प्रयोग इंसान पर सफल रहे तो वह दिन भी दूर नहीं जब उम्र नहीं ढलेगी और लोग सदा जवान रहेंगे.
सदियों से ये सवाल हमें उलझाता रहा है कि पहले कौन आया अंडा या मुर्गी, लेकिन इस साल ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने इस उलझन को भी सुलझा लिया.
वैज्ञानिकों ने पाया कि मुर्गी के अंडे ‘ओवोक्लेडिडिन-17’ नामक एक प्रोटीन से बनते हैं जो अंडे का खोल बनाने के लिए बेहद ज़रूरी है और मुर्गी के गर्भाशय में ही पाया जाता है.
यानी अंडा तभी बन सकता है जब मुर्गी का अस्तित्व हो!
इस साल अमरीका के वैज्ञानिकों ने दृष्टिहीनों के लिए कार बनाने का बीड़ा भी उठाया. इस गाड़ी में ऐसी तकनीक लगाई जाएगी कि दृष्टिहीन स्वतंत्र तौर पर गाड़ी चला सकेंगे.
गाड़ी में लगे सेंसर बीच रास्ते में आए मोड़ का अंदाजा लगाएंगे और ऑडियो संकेतों के ज़रिए नेत्रहीन चालक गाड़ी को नियंत्रित कर सकेंगे.
संगीत-प्रेमियों के हमजोली बन चुके ‘वॉकमैन’ को इस साल सोनी कंपनी ने अलविदा कह दिया.
1979 में सोनी ने एक ऐसा कैसेट प्लेयर बाज़ार में उतारा जिसे लोग अपने साथ कहीं भी ले जा सकते थे. ये एक क्रांतिकारी उपकरण था और युवा पीढ़ी के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ.
फिर तकनीक ने प्रगति की और बाज़ार में सीडी की धूम मच गई. ऐसे में कंपनी ने अब वॉकमैन को भी अलविदा कर दिया.
(courtesy- BBC Hindi service)