Saturday, October 23, 2010

हमारे कर्म हमारे साथ जाते हैं

विनय बिहारी सिंह


हम जो कुछ करते हैं उसका प्रभाव हमारे ऊपर पड़ता रहता है। हमारी इच्छाएं, कामनाएं और चिंतन मृत्यु के बाद हमारे साथ जाते हैं। हमारा सूक्ष्म शरीर इसे आत्मा के साथ लिए जाता है और ठीक उसी वातावरण और परिवार में जन्म होता है जो हमारी कामनाओं और चिंतन से मेल खाता होता है। कहावत है कि हम जो कुछ कर रहे हैं वह ईश्वर नोट करते जा रहे हैं। हमारा भविष्य उसी कर्म पर निर्भर है। ठीक ही तो है। हमारे कर्म किसी बही- खाते में नोट नहीं होते लेकिन हमारे ही सूक्ष्म मस्तिष्क में संचित होते जाते हैं। जब हम शरीर छोड़ते हैं तो यह सब संचित कर्म हमारे साथ चिपक जाते हैं। मृत्यु के बाद सूक्ष्म लोक में यही संचित कर्म हमारी पहचान होते हैं। जो वाइब्रेशन हम लेकर जाते हैं, उसी के अनुसार हमें सूक्ष्म लोक में जगह मिलती है। फिर जन्म होता है। आदि शंकराचार्य ने कहा है- पुनरपि जन्मम, पुनरपि मरणम, जननी जठरे पुनरपि शयनम।। बार- बार जन्म, बार- बार मृत्यु। फिर वही वही दुख, पीड़ा, कष्ट चिंताएं और परेशानियां। मनुष्य योनि ही ऐसी है। या इससे अच्छा यह कहना होगा कि जीव योनि ही ऐसी है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- अर्जुन, इस दुख रूपी संसार समुद्र से बाहर निकलो। ऋषियों ने भी कहा है- संसार में रहो, लेकिन संसार का हो कर मत रहो। तुम्हारा यह असली घर नहीं है। असली घर है- ईश्वर। वहां से स्ट्रांग कनेक्शन बना कर रहिए। फिर आप संसार में रहेंगे लेकिन बस अपने कर्तव्य करने भर के लिए। मन ईश्वर में रहेगा और शरीर संसार के कर्तव्यों को पूरा करता रहेगा। सब कुछ ईश्वर को सौंपते हुए आनंद से जीवनयापन करना इसी को तो कहते हैं। तेरा तुझको अर्पण, मेरा क्या लागे? हे ईश्वर यह शरीर, यह मन और यह आत्मा तुम्हारी ही है। मैं इसे तुझे ही सौंपता हूं। इस संसार का प्रपंच मेरी समझ से बाहर है। मैं संसार में अपना कर्तव्य अच्छी तरह निभाऊंगा, लेकिन मुझे असली चाहत तुम्हारी है। तुम, तुम, केवल तुम्ही मेरे परमप्रिय भगवान। प्रभु। मुझे स्वीकार करो। बस, इसी प्रार्थना को हृदय की गहराई से दुहराते रहने से काम बन जाएगा। फिर तो आनंद ही आनंद का साम्राज्य है।

2 comments:

prashant said...

BIHARI JI!LOG ATE HAI YAHA PE LOG JATE HAI YAHA SE,ANA TO SIRF USKA HAI,JO AKAR APNI CHHAP CHHOR JATE HAI JHA PE.....APNE BILKUL SAHE KHA HAI.

Unknown said...

Bhai prashant ji
Mera naam- Vinay hai, bihari nahin. tippari ke liye abhaar.