Wednesday, October 13, 2010

नवरात्रि का छठा दिन

विनय बिहारी सिंह


आप सोच रहे होंगे, नवरात्रि बीती जा रही है और इस ब्लाग पर नवरात्रि के बारे में कुछ पढ़ने को नहीं मिल रहा है। नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा की मां कात्यायनी के रूप में पूजा की जाती है। इस संबंध में श्लोक है-

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

यानी मां कात्यायनी दानव का नाश करने वाली हैं। इसका क्या मतलब? इसका अर्थ है- हमारे भीतर जो अंधकार है उसे तो मां दूर करती हू हैं, जो दानवी शक्तियां हमारे ऊपर हमला करना चाहती हैं, उनका भी नाश करती हैं। यानी मां कात्यायनी की अराधना से मनुष्य के चारो तरफ रक्षा कवच का निर्माण होता है। लेकिन जो लोग मां कात्यायनी की पूजा का विधान नहीं जानते, वे दुर्गा पाठ ही करते हैं। नवरात्रि में दुर्गा पाठ का भी विशेष लाभ मिलता है। मन तनावरहित होता है और जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं। लेकिन आवश्यक यह है कि पाठ करते समय हमारा पूरा ध्यान मां दुर्गा पर ही होना चाहिए। अन्यथा लाभ नहीं होगा। पाठ के समय ऐसा भाव हो कि- जैसे व्यक्ति माता की गोद में बैठा हो या सामने माता बैठी हों और प्रेमपूर्वक हमें देख रही हों। पाठ पूरा होने तक यह भाव रखने से बहुत लाभ होता है। लेकिन मन में यह नहीं रखना चाहिए कि यह पाठ मैं लाभ के लिए कर रहा हूं। नहीं। बस- माता के प्रति प्रेम के कारण पाठ हो तो आनंद ही आनंद है।
मां दुर्गा शक्ति की प्रतीक हैं। कहा ही गया है- या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।। लेकिन मां की शक्ति हमारे भीतर तभी आएगी जब हम उसे आने देंगे। इसका अर्थ यह है कि माता के आवाहन के लिए मन में पवित्रता और भक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है। यदि हम किसी कामना से दुर्गा पाठ करते हैं तो वह स्वार्थ हो गया। बस माता के प्रेम के कारण पाठ हो तो वह उत्तम है। इन नवरात्रियों में मां दुर्गा विशेष रूप से अपने भक्तों के करीब होती हैं। आखिर मां बच्चे से कितने दिन तक दूर रह सकेगी। जितना हम उनके लिए तड़पते हैं, वे उससे ज्यादा हमारे लिए तड़पती हैं। लेकिन हम तड़पें ही नहीं। यहां तक माता की याद भी न करें तो वे क्या कर सकती हैं। वे जबर्दस्ती नहीं कर सकतीं क्योंकि वे डिक्टेटर नहीं हैं। मां हैं। वे चाहती हैं कि हम अपनी इच्छा से उन्हें पुकारें। इसीलिए उन्होंने हमें विवेक दिया है। प्रेम दिया है। आइए इन नवरात्रियों में हम मां दुर्गा से अधिक से अधिक प्रेम करने का अभ्यास करें।

2 comments:

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सुन्दर , जानकरियों से भरपूर आलेख. शुभकामनाएं.

Unknown said...

Thnk u very much sir for d intresting knoledge and information. :)) Jai mata di