Saturday, October 16, 2010

मां दुर्गा के अस्त्र

विनय बिहारी सिंह


हुगली के एक पंडाल में मां दुर्गा की मिट्टी की अद्भुत प्रतिमा रखी गई है। मां की मूर्ति, उनके अस्त्र- शस्त्र, वस्त्र, वाहन (शेर) सब कुछ मिट्टी के। रंग भी मिट्टी का। यानी जिस तत्व से मां बनी हैं, उन्हीं से उनके शस्त्र और वस्त्र भी। मां ही सब कुछ हैं। उन्हीं से सारा ब्रह्मांड है। यह कथन कितना सच है- भगवान की इच्छा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। बार- बार इसका बोध होता है। प्रत्यक्ष उदाहरण मिलते हैं। सभी संतों ने इसकी पुष्टि की है- एक मां से ही अनंत कोटि ब्रह्मांड और उसकी वस्तुएं बनी हैं। और यह कथन भी कितना आनंद देता है कि भगवान पूर्ण हैं। पूर्ण से यदि पूर्ण निकाल लिया जाए तो पूर्ण ही बचता है। यहां सांसारिक गणित नहीं चलता। अगर आप भगवान से अनन्य प्रेम करते हैं तो आपको भगवान का दिव्य आनंद मिलेगा। क्योंकि वे सच्चिदानंद हैं। पवित्रतम सत्ता हैं। सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वग्य हैं। ऐसे भगवान को पाकर कौन नहीं रसविभोर हो जाएगा। चाहे आप भगवान राम के भक्त हों, भगवान कृष्ण के, मां दुर्गा के या भगवान शिव के। बात एक ही है। भगवान के अनंत रूप हैं। लेकिन हैं वे एक ही। भगवान के प्रति हमारा जितना अधिक प्रेम बढ़ेगा, हमारा उतना ही कल्याण होगा। और इसमें खर्च क्या होगा? खर्च होगा सिर्फ प्रेम का। इसे जितना खर्च किया जाता है, उतना ही बढ़ता जाता है।

2 comments:

Udan Tashtari said...

दशहरा की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

अध्यात्म में गहरे उतरने की कोई सीमा नहीं.. दशहरे की बधाई..