विनय बिहारी सिंह
परमहंस योगानंद जी ने कहा है- यह सोचना कि आप कर्ता हैं, भ्रम है। असली कर्ता तो भगवान हैं। वे ही आपके माध्यम से काम करा रहे हैं। बांग्ला भाषा में एक भक्ति गीत है- तुमार काज तुमी करो, लोके बोले करी आमी (तुम्हारा काम तुम करती है और लोग कहते हैं कि मैं करता हूं)। यह गीत मां काली के लिए गाया जाता है। पश्चिम बंगाल में यह गीत बहुत ही लोकप्रिय है। कर्ता हम नहीं हैं। जिनका यह संसार है, वही इसके कर्ता हैं। दिन और रात वही कराते हैं। इस संसार में मनुष्य को इसलिए भेजा गया है कि वह ईश्वर में लीन हो। लेकिन हम तो माया के प्रपंच में ऐसे पड़े रहते हैं कि अपने भीतर झांकने का मौका नहीं मिलता। भीतर कितनी गंदगी या कचरा है, इसे देखना भी रोचक अनुभव है। आप ईश्वर की अराधना करते हैं तो अचानक आपके दिमाग में कोई और बात आ जाती है या कोई काम याद आने लगता है। आप हैरान रह जाते हैं कि यह क्या मैं पूजा कर रहा हूं या ध्यान कर रहा हूं और अचानक कोई अन्य बात कैसे दिमाग में आ गई। इसका अर्थ है आपका दिमाग आपके वश में नहीं है। वह आपके ऊपर हावी हो गया है। आप परतंत्र हो गए हैं। दिमाग को वश में कैसे करें? इसका एक मात्र उपाय है अभ्यास। बार- बार अभ्यास करने से आपका दिमाग उधर ही जाएगा, जिधर आप चाहेंगे। नियंत्रित मन ही ईश्वर में लीन होता है। अनियंत्रित मन तो जहां- तहां भागता रहता है। ऋषियों ने कहा है- यदि ईश्वर से नाता जोड़ा जाए तो- सर्व दुख निवृत्ति और परमानंद प्राप्ति हो जाती है। ईश्वर से संपर्क कैसे होगा? ऋषियों ने कहा है - परम भक्ति से। अपना दिल और दिमाग भगवान को समर्पित कर दीजिए। बस आपका काम हो जाएगा।
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