विनय बिहारी सिह
महामंत्र क्या है? एक भक्त ने संत से पूछा। संत ने उत्तर दिया- महामंत्र है- हरे राम, हरे राम, राम, राम हरे, हरे। हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण हरे, हरे।। भक्त ने पूछा- इसके जाप से क्या होता है? संत ने कहा- इसके जाप से मनुष्य की सारी भव बाधाएं दूर हो जाती हैं। मनुष्य पर भगवद्कृपा होती है। भक्त ने पूछा- क्या भगवान बिना जाप के प्रसन्न नहीं होते? संत ने कहा- होते हैं। लेकिन नाम जप से जप करने वाले का लाभ होता है। इसलिए जप भगवान तक पहुंचने का सुगम मार्ग है। भगवान तो संपूर्ण हैं। उन्हें किसी चापलूसी की जरूरत नहीं है। नाम जप का अर्थ चापलूसी करना नहीं है। बल्कि नाम जप का अर्थ है- स्वयं की शुद्धि। मनुष्य के बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। ईश्वर की कृपा बरसने लगती है। जप करने वाले मनुष्य का कल्याण होता है। महामंत्र जप कर न जाने कितने लोगों का उद्धार हुआ। लेकिन हां, यह जप दिल से करना चाहिए। यह मान कर कि आपका जप भगवान सुन रहे हैं और यह भी देख रहे हैं कि आपका मन जप में है या नहीं। मशीन की तरह जप करने का कोई फल नहीं होता। इस तरह तो तोता भी राम- राम रट सकता है। इस जप में गहरे भक्ति भाव का होना बहुत जरूरी है।
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