वैज्ञानिकों के एक नए अध्ययन के मुताबिक मरीज़ अगर यह मान लें कि दवा असर नहीं करेगी तो दर्द निवारक दवाओं का असर वाकई कम हो जाता है.
'साइंस ट्रांज़िशनल मेडिसिन' में छपे इस अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इसके लिए ज़िम्मेदार मस्तिष्क के एक खास हिस्से की पहचान भी की है.
वैज्ञानिकों के दल का मानना है कि यह अध्ययन उन प्रयोगों को बेमानी साबित करता है जो पूरी तरह प्रयोगशाला पर आधारित होते हैं और इंसान के मनोविज्ञान को ध्यान में नहीं रखते.
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस अध्ययन का असर मरीज़ों की चिकित्सीय देखरेख और नई दवाओं की खोज पर पड़ सकता है.
अध्ययन के तहत लंबे समय से दर्द से पीड़ित मरीज़ों को बताकर और उनकी जानकारी के बिना दर्द निवारक दवाएं दी गईं. कई मरीज़ों ने अपने मनोवैज्ञानिक अनुभव के आधार पर दवाएं न दिए जाने की स्थिति में भी दर्द कम होने और दवाएं दिए जाने की स्थिति में भी दर्द की शिकायत की.
वैज्ञानिकों के अनुसार यह दिखाता है कि जिन लोगों पर बहुत समय से दवाएं बेअसर रही हैं उनके नकारात्मक अनुभव दवाओं के प्रभाव पर असर डालते हैं.
मस्तिष्क की स्कैन के ज़रिए वैज्ञानिकों ने उस हिस्से की जानकारी भी हासिल की जो इस असर को नियंत्रित करता है.
अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों के दल का मानना है कि यह अध्ययन उन प्रयोगों को बेमानी साबित करता है जो पूरी तरह प्रयोगशाला पर आधारित होते हैं और इंसान के मनोविज्ञान को ध्यान में नहीं रखते.
(Courtesy- BBC Hindi service.)
1 comment:
बढिया जानकारी …………आभार्।
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