विनय बिहारी सिंह
विद्वानों ने कहा है कि जप करने का सही तरीका जानना बहुत आवश्यक है। हालांकि भगवान का नाम आप चाहे जैसे जपें, वे प्रसन्न होते हैं। भोजन आप खड़े होकर करें तो भी पेट ही में जाएगा और बैठ कर आराम से खाएं तो भी पेट ही में जाएगा। लेकिन बैठ कर भोजन का आनंद ही कुछ और है। ठीक इसी तरह मंत्र का एक खास तरीका अच्छा माना जाता है। इसी तरह मालाएं भी कैसी हों, यह जानकारी हो तो अच्छा है। जानकार बताते हैं कि भगवान शिव के नाम जप के लिए रुद्राक्ष की माला उत्कृष्ट मानी जाती है। भगवान विष्णु (राम, कृष्ण) के नाम जप के लिए तुलसी की माला से जप उत्तम माना जाता है। एक आदमी दिन भर में २१, ६०० बार श्वांस लेता है। यदि इसमें से आधी श्वांस यानी १०, ८०० श्वांस सांसारिक कामों में खर्च हो जाती है तो कम से कम आधी श्वांस यानी बाकी १०, ८०० श्वांस को ईश्वर के नाम जप में खर्च करनी चाहिए। इसका अर्थ यह है कि १०८ मनकों वाली माला से १०० बार नाम जप किया जाए तो अपने साथ न्याय होगा। आधी श्वांस मात्रा संसार के लिए और आधी श्वांस मात्रा भगवान के लिए। आखिर भगवान ने ही तो हमें जीने का मौका दिया है। भगवान ने यह भी मौका दिया है कि हम उनसे जप, ध्यान और पूजा- पाठ के माध्यम से संपर्क कर सकें और इस संपर्क से उपजे आनंद में सराबोर हो सकें।
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