Wednesday, June 24, 2009

भगवान कृष्ण की बांसुरी

विनय बिहारी सिंह

भगवान कृष्ण की बांसुरी से सृष्टि का जादुई स्वर निकलता है। इसीलिए तो सारी गोपियां पागल की तरह उनकी तरफ दौड़ जाती थीं। लेकिन आगे बढ़ने से पहले बता दें कि भगवान एक ही हैं चाहे वे शिव रूप में हों या कृष्ण रूप में। शैव उन्हें शिव कहते हैं और वैष्णव उन्हें कृष्ण। लेकिन हैं वे एक ही। हम लोग कितने भाग्यशाली हैं कि भगवान को इन दोनों रूपों में पूजा करने की सुविधा है। जब मन करे तो उन्हें मां दुर्गा या काली के रूप में भी पूजा कर लेंगे। वही मां भी हैं। जैसे हमें तरह- तरह के व्यंजन खाना अच्छा लगता है, उसी तरह भगवान की पूजा विभिन्न रूपों में करने में आनंद आता है। गीता में जब अर्जुन भगवान से पूछते हैं कि आप अपनी विभूतियों के बारे में बताइए। आपको किन किन रूपों में पूजा जा सकता है तो भगवान कृष्ण कहते हैं कि रुद्रों में मैं शंकर हूं। यानी वे ही शंकर भी हैं और कृष्ण भी। तो भगवान कृष्ण की बांसुरी का स्वर मुग्धकारी है। कैसे? ऊं को सृष्टि की आदि ध्वनि कहा जाता है। ऋषि पातंजलि ने लिखा है- अगर आपने ऊं से संबंध बना लिया तो आपने ईश्वर से संबंध बना लिया। ऊं को ही प्रणव ध्वनि कहते हैं। यह ऊं इतना मीठा और शाश्वत है कि यह सात सुरों के रूप में भगवान कृष्ण की बांसुरी से निकलता है। इसीलिए गोपियां मुग्ध हो जाती हैं। भगवान के भक्त भी इस मधुर शब्द को सुन कर भाव विभोर हो जाते हैं। वे तो बल्कि प्रतीक्षा करते रहते हैं कि भगवान कृष्ण की बांसुरी कब सुनने को मिले। यह ध्वनि बिना ध्यान में उतरे नहीं सुनाई पड़ती। पिछले दिनों एक सन्यासी से एक भक्त ने पूछा- स्वामी जी, क्या है सच है कि कृष्ण आज भी हैं? वे तो त्रेता में अवतरित हुए थे। फिर आज कैसे प्रकट होंगे? सन्यासी ने कहा- हां भगवान कृष्ण आज भी हैं और हमेशा रहेंगे। आप बिल्कुल शांत हो कर ध्यान में उतरिए तो सही। सच है। हमारा मन अगर शांत हो जाए तो फिर ध्यान गहरा हो जाता है औऱ ईश्वर का आशीर्वाद मिलने लगता है। बस पांच मिनट संसार की झंझटों से मुक्त तो हो जाएं। मन- मस्तिष्क को विराम दे दें और मन को कहें आओ ईश्वर में लय हो जाएं। कुछ लोग जाप कर मन को ईश्वर में डुबा देते हैं। कुछ कोई भजन गाकर ही खुद को ईश्वर में डुबा देते हैं। कुछ लोग भजन सुन कर ही ईश्वर में डूब जाते हैं। वे कोई मनपसंद कैसेट या सीडी चला देते हैं और उसी के जरिए भगवान में डूब जाते हैं। सबका अपना- अपना तरीका है। जब आपका ईश्वर में लय हो जाए तो बस कृष्ण की बांसुरी सुनाई देने लगेगी।

4 comments:

रंजना said...

आत्मा प्रसन्न हो गयी इन सुन्दर चिंतन से गुजरकर.....बिलकुल सही कहा आपने.......पूर्णतः सहमति है आपसे....

Unknown said...

dhnya kar diya aapne
jai ho !

ओम आर्य said...

bahut hi achchhi jaankari aapne hame di......dhanyabaad

Udan Tashtari said...

धन्य हुए आपके सानिध्य में. आप जारी रहें, जीवन सफल होता प्रतित हो रहा है/