विनय बिहारी सिंह
हम रोज भोजन करते हैं। ठीक ही है। भोजन से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है। लेकिन संतों ने बीच बीच में उपवास करने को भी कहा है। क्यों? हमारी आंतों में कई बार वर्ज्य पदार्थ इकट्ठे हो जाते हैं और कुछ तो आतों की दीवारों से चिपक जाते हैं। कई बार हमें एसिडिटी हो जाती है। कई बार कब्ज भी। इसका एकमात्र उपाय है एक वक्त का उपवास या अगर संभव हो तो २४ घंटे का उपवास। अगर आपके पेट में कोई गड़बड़ी नहीं है तो भी उपवास करके आपको लाभ ही होने वाला है। पुराने समय में लोग उपवास के दौरान पेड़ू पर (पेट के निचले हिस्से पर) मिट्टी की पट्टी भी बांधते थे। महात्मा गांधी का तो यह बहुत प्रिय काम था। इससे प्राकृतिक ढंग से पेट के विकार दूर हो जाते हैं। मिट्टी का लेप कई लोगों के लिए संभव नहीं है। इसलिए एक विकल्प है। एक या दोनों वक्त का उपवास कर सिर्फ संतरे का रस पीते रहें। परमहंस योगानंद जी के इस प्रयोग से अनेक लोगों को लाभ हुआ है। पेट स्वस्थ तो आपका मन और दिलोदिमाग स्वस्थ। हमारा शरीर सिर्फ भोजन से ही तो ऊर्जा पाता नहीं है। वायु और प्रकाश से भी ऊर्जा पाता है। लेकिन यह इतनी सूक्ष्म ऊर्जा है कि हम प्रत्यक्ष अनुभव नहीं कर पाते। ऋषियों ने एक और बात कही है- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में प्राणायाम करें तो पूरे दिन फ्रेश रहेंगे। आपके मेरुदंड में प्राण ऊर्जा का संचार होगा और आपका मन प्रसन्न रहेगा। कई लोगों को दो वक्त का उपवास कष्टकारी लगता है। उनके लिए सिर्फ एक वक्त का ही उपवास ठीक है। रात को शरीर विश्राम करता है। तो रात को ही क्यों न उपवास किया जाए। लेकिन कुछ लोगों को बिना खाए नींद नहीं आती है। उनके लिए दिन का उपवास ठीक है। दिन भर उपवास कर रात को हल्का भोजन करना ठीक है। उपवास के बाद कभी भी भारी भोजन नहीं करना चाहिए। आमतौर पर उपवास के बाद जोर की भूख लगी होती है। लेकिन उस पर नियंत्रण रखते हुए हल्का भोजन ही अच्छा है। कुछ लोगों ने इसका अच्छा उपाय निकाल रखा है। भोजन के आधा घंटा पहले वे कुछ अधिक मात्रा में फल खा लेते हैं। उसी से पेट का ज्यादा हिस्सा भर गया। आधा घंटा बाद वे भोजन करते हैं। जाहिर है, भोजन ज्यादा नहीं कर पाएंगे। इस तरह फल के सहारे वे आनंद में रहते हैं। उपवास के दौरान अगर ईश्वर को याद करें तो फिर आनंद कई गुना बढ़ जाएगा। कुछ धार्मिक पुस्तकें जैसे- गीता पढ़ें या पूजा पाठ करें या कुछ नहीं तो कोई भजन ही सुन लें। इससे उपवास का फायदा कई गुना बढ़ जाता है। वे लोग भाग्यशाली होते हैं जो उपवास में ही नहीं, यूं भी भगवान की शरण में हमेशा रहते हैं।
No comments:
Post a Comment