Saturday, June 20, 2009

स्टेम सेल चिकित्सा से उम्मीद की किरण

विनय बिहारी सिंह

मल्टीपल स्क्लेरोसिस के मरीजों के लिए ईश्वर ने एक नई चिकित्सा पद्धति का सहारा दे दिया है। निराश हो चुके रोगियों की कोशिकाओं को फिर से ऊर्जा से भरा जा रहा है। मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) का इलाज मुंबई के सियान हास्पिटल में संभव है। सिर्फ स्टेम सेल पद्धति से। इसमें मरीजों के स्टेम सेल का ही प्रयोग किया जाता है। आखिर यह मल्टीपल स्क्लेरोसिस है क्या? इस रोग में पूरा नर्वस सिस्टम प्रभावित हो जाता है औऱ दिमाग और रीढ़ क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। मरीज को साफ दिखाई नहीं देता, मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, ठीक से चला नहीं जाता, शरीर के हिस्से जहां- तहां सुन्न हो जाते हैं या सुई चुभोने जैसी पीड़ा होती है, कुछ याद नहीं रहता। यानी सोचने समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। इस रोग का कारण क्या है? विशेषग्यों का कहना है कि कोई खास कारण अब तक समझ में नहीं आ सका है। यह एक तरह के वाइरल इंफेक्शन से होता है। बहरहाल, यह चिकित्सा पद्धति इक्कीसवीं शताब्दी की अद्भुत खोज है। पहले नैनो टेक्नालाजी का इस्तेमाल कर चिकित्सा करने की बात कही जा रही थी। लेकिन लगता है कि अभी नैनो शोध में समय लगेगा। इसीलिए स्टेम सेल चिकित्सा से चमत्कारिक लाभ हो रहा है। कहा जा रहा है कि नए नए रोग पैदा हो रहे हैं। लेकिन नई- नई चिकित्सा पद्धतियां भी सामने आ रही हैं, यह मरीजों के लिए उम्मीद की किरण है। लेकिन यह भी सच है कि आज चिकित्सा पद्धति बहुत खर्चीली हो गई है। सभी डाक्टर तो नहीं लेकिन कई डाक्टर सेवा भाव से नहीं, बल्कि मरीज को बिजनेस आब्जेक्ट या पैसे का स्रोत समझ कर चल रहे हैं। इससे मनुष्यता का अपमान ही हो रहा है। वे पैसा कमाएं लेकिन नजरिया में बदल कर। हंस कर या मुस्करा कर मरीज को सांत्वना देने से ही उसका आधा रोग ठीक हो जाता है। इसलिए दुनिया के जो मानवतावादी हैं, उन्हें इस दिशा में पहल करना चाहिए। भारत की आबादी एक अरब से ज्यादा है, लेकिन एकमात्र दिल्ली में ही एम्स अस्पताल है। जबकि होना यह चाहिए कि हर राज्य में कम से कम दो- दो ऐसे अस्पताल हों।