Tuesday, August 24, 2010

शिव के भक्त राम

विनय बिहारी सिंह

रावण से युद्ध करने और समुद्र पार करने से पहले भगवान राम ने शिव जी की विधिवत पूजा की थी। इस स्थान का नाम रामेश्वरम है। रामेश्वर यानी राम के ईश्वर। एक और प्रसंग- सीता जी स्वयंवर के पहले माता पार्वती की पूजा करती हैं और कामना करती हैं कि पति के रूप में उन्हें राम जी ही मिलें। उधर शिवपुराण में भगवान शिव ने कहा है कि जो व्यक्ति विष्णु भगवान नहीं मानता और मेरी पूजा करता है, वह अग्यानी है। रामचरितमानस में ही भगवान राम ने कहा है-

शिवद्रोही मम दास कहावा, सोई नर सपनेहुं मोहिं न पावा

यानी शिव जी से दूरी रखने वाला और मेरी भक्ति करने वाला मुझे सपने में भी नहीं पा सकता। इस तरह से सिद्ध होता है कि भगवान राम या कृष्ण या शिव एक ही हैं। उनमें कोई भेद नहीं है। भगवान एक ही हैं, उनके रूप अलग- अलग हैं। कई लोग मां काली को ही भगवान कहते हैं। वे भी ठीक कहते हैं क्यों उनके लिए मां काली ही भगवान हैं। रूप अलग- अलग हो सकते हैं लेकिन भगवान एक ही हैं। रामकृष्ण परमहंस कहते थे- राम, कृष्ण, शिव, दुर्गा, काली भगवान के ही अलग- अलग रूप हैं। आप चाहे जिसकी भी पूजा करें- वह जाएगा भगवान को ही। भगवान ही अनंत कोटि ब्रह्मांड के मालिक हैं। वही इस सृष्टि को चला रहे हैं।

1 comment:

hem pandey said...

एक सर्वशक्तिमान सत्ता का अस्तित्व है, जो पूरी सृष्टि का निर्माण. पालन और संहार करती है,उसी शक्ति को आस्तिक ईश्वर कहते हैं.