Thursday, August 12, 2010


एक साधु से मुलाकात

विनय बिहारी सिंह


पिछले दिनों एक साधु से मुलाकात हुई। वे अपने शिष्यों को बता रहे थे- चंचल मन से ईश्वर से संपर्क नहीं हो सकता। जब तक आप शांत हो कर नहीं बैठेंगे, ध्यान नहीं होगा। ध्यान का अर्थ है ईश्वर में लय। अगर आपका मन एकाग्र नहीं होता तो आपका जीवन कष्टमय है। सफलता की कुंजी है- एकाग्रता। अगर चंचल मन के वश में आप हैं तो आपका भला नहीं हो सकता। आप हमेशा तनाव में रहेंगे। छोटी छोटी बातों से आप तनाव में आ जाएंगे। थोड़ा सा कष्ट भी आपको बड़ा लगने लगेगा। लेकिन ज्योंही आपका दिमाग कंट्रोल में आ जाएगा, आपका जीवन ही बदल जाएगा। तब पास बैठे एक आदमी ने पूछा- बाबा, कोशिश तो बहुत करते हैं लेकिन ज्योंही एक मिनट बीतता है मेरा ध्यान भगवान से हट कर संसार के किसी अन्य विषय पर चला जाता है। साधु ने उत्तर दिया- आपने मन को बेकाबू छोड़ दिया है। वर्षों से मन ऐसा कर रहा है। अचानक अपनी आदत कैसे बदल देगा? उसे धीरे- धीरे काबू में लाइए। बार- बार, बार- बार मन को खींच कर भगवान में लगाइए। हार मत मानिए। हो सकता है इसमें आपको दो- चार साल लग जाएं। लेकिन कोशिश में लगे रहिए। चंचल मन तो खुद ही कमजोर है। अगर आप उसके वश में आ गए तो आप उससे भी कमजोर साबित हो गए। इसलिए हमेशा मन को काबू में रखे रहिए। वह कहे कि मिठाई खानी है तो आप कहिए- आज नहीं। यह बहुत छोटी बात है। लेकिन सेल्फ कंट्रोल ऐसी ही छोटी बात से शुरू होता है। जब मन काबू में हो जाएगा तो आप यह नहीं कहेंगे कि मन एक मिनट ही ठहरता है। बाकी समय कूदता रहता है। उसे ठहरने का अभ्यास कराइए। प्यार से। जब वह भगवान पर ठहर जाएगा तो आप कहेंगे- हां, सच ही तो है। भगवान की कृपा हमेशा बरस रही है। बस महसूस करने वाला होना चाहिए। ग्रहण करने वाला होना चाहिए। और ग्रहण तो तभी होगा- जब मन शांत होगा। मन देर तक ईश्वर पर ठहरेगा।

3 comments:

RAJENDRA said...

आपकी सभी पोस्ट रूचि से पढी जाती हैं जारी रखिये
५७वे जन्म दिन की बहुत बहुत शुभकामनाये -मुबारक हो

Unknown said...

भाई राजेंद्र जी,
शुक्रिया। आपका आभारी हूं। हां, उम्र के ५८ वीं सीढ़ी पर पहुंच गया। आपको याद है
इसके लिए मेरा नमस्कार स्वीकार करें।

Unknown said...

सर जी अति विलंब से जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई। ईश्वर आपको लंबे समय तक स्वस्थ रखे। अध्यात्म से जुड़ी उम्दा जानकारियों के‍ लिए साधुवाद।
बहुत ही रोचक और लघु होती हैं।