Friday, August 6, 2010


रामकृष्ण परमहंस के गुरु तोतापुरी जी

विनय बिहारी सिंह

उन दिनों रामकृष्ण परमहंस दक्षिशेश्वर के प्रसिद्ध कालीमंदिर में रहते थे जिसे रानी रासमणि ने बनवाया था। यह सन १८६४ की बात है। तोतापुरी जी वेदांत के प्रकांड विद्वान थे। लेकिन वे २४ घंटा से ज्यादा एक पल भी कहीं ठहरते नहीं थे। वे घुमंतू साधु थे। उनका मानना था कि एक जगह कहीं भी रहने से लगाव होता है जो एक साधु के लिए ठीक नहीं है। साधु के लिए तो समूचा ब्रह्मांड खुला हुआ है। तोतापुरी जी शंकराचार्य की दसनामी परंपरा के साधु थे। जन्म तो उनका पंजाब में हुआ था लेकिन वे खुद को सारी पृथ्वी का रहने वाला मानते थे। रामकृष्ण परमहंस ने उनका नाम न्यांगटा साधु (नंगा साधु) रखा था। वे सचमुच नंगे रहते थे। उनका मानना था कि आत्मा पर यह शरीर अपने आपमें वस्त्र है। अब किसी अन्य वस्त्र की क्या जरूरत? बड़ा सा जटा जूट था उनका। यह मैं इस आधार पर कह रहा हूं क्योंकि दक्षिणेश्वर में तोतापुरी जी की एक बड़ी सी तस्वीर लगी हुई है। ठीक उस कमरे में जिसमें रामकृष्ण परमहंस रहते थे। तो तोतापुरी जी ने रामकृष्ण परमहंस को वेदांत परंपरा में दीक्षा दी। जो तोतापुरी जी कहीं भी २४ घंटे से ज्यादा नहीं रहते थे, वे दक्षिणेश्वर में तीन महीने लगातार रहे। वे कहा करते थे- कोई भी व्यक्ति घनघोर साधना कर जो अवस्था कई सालों बाद प्राप्त करता है, उसे रामकृष्ण परमहंस ने तीन दिन में ही प्राप्त कर लिया है। वे रामकृष्ण परमहंस की भक्ति के कायल थे। रामकृष्ण परमहंस पूरी तरह जगन्माता के ऊपर निर्भर थे। वे मां काली के अनन्य भक्त थे। कहते हैं मां काली ने उन्हें अनेक बार दर्शन दिया था। रामकृष्ण परमहंस कहते थे- मां काली ने मुझे दिखा दिया है कि जो राम हैं, वही कृष्ण हैं, वही शिव हैं और वही काली हैं, वही दुर्गा हैं। रामकृष्ण परमहंस कभी कृष्ण, कृष्ण कह कर रोने लगते थे तो कभी मां मां कह कर। उनके लिए राम, सीता, शिव, काली कृष्ण सब भगवान के रूप थे। नाम एक- भगवान। लेकिन रूप अनेक। जो जिसको पसंद हो वह रूप हृदय में धारण कर ले और उसी को समर्पित हो जाए।
तोतापुरी जी कहते थे- दस बार गीता गीता लगातार कहने से जो शब्द ध्वनित होता है, वही गीता का सार है। यानी आप गीता गीता जल्दी जल्दी कहेंगे तो वह हो जाएगा- तागी तागी। यानी त्यागी त्यागी। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और मद वगैरह का त्याग जब तक नहीं होगा, ईश्वर
का प्यार हम कैसे महसूस कर पाएंगे? इसलिए यह जानना जरूरी है कि यह संसार दरअसल स्वप्न है। असली संसार तो भगवान हैं

No comments: