Tuesday, November 10, 2009

मां पीटती रही, बच्चे ने उसकी साड़ी नहीं छोड़ी

विनय बिहारी सिंह

रविवार को एक सन्यासी ने दिल को छूने वाली एक घटना सुनाई और उसे ईश्वर से जोड़ा। उन्होंने कहा- मैं एक जगह जा रहा था। रास्ते में देखा- एक मां अपने बच्चे को पीट रही है। बच्चा चिल्ला रहा है। लेकिन जाए कहां? तो उसने मां की साड़ी जोर से पकड़ी हुई थी और चिल्ला रहा था- मां, मां, मां। मां को जितना पीटना था, पीट लिया। लेकिन बच्चे का तो कोई ठौर नहीं है। वह मां की साड़ी पकड़े रहा और रोता रहा। सन्यासी ने कहा- यही हमें भगवान के साथ करना चाहिए। दुख है, कष्ट है। लेकिन हम जाएं कहां? भगवान तुमको जोर से पकड़े रहेंगे। हम ईश्वर को छोड़ेंगे ही नहीं, भूलेंगे ही नहीं। कई लोगों की एक बहुत अच्छी आदत होती है। वे हर घंटे या आध घंटा पर अपनी आंखें बंद कर कहते हैं- राम, राम। या शिव, शिव। ऋषि कहते हैं- दिल से किया गया ऐसा स्मरण हमें अमृत जैसा फल देता है। कई लोग व्यस्तता के बीच जब भी खाली समय मिलता है, चाहे एक मिनट ही सही- भगवान का स्मरण करते हैं। हममें से कई लोगों को कोई दुख है, कोई कष्ट है, अभाव या तनाव है। हम तो अपने किए का फल भोग रहे हैं। लेकिन भगवान चाहते हैं कि इन कष्टों से हम सीखें और भविष्य मे कुछ भी करने से पहले, कुछ भी बोलने से पहले सावधान होकर सोचें- हम कर क्या रहे हैं, बोल क्या रहे हैं, व्यहार कैसा कर रहे हैं। यह बहुत मुश्किल नहीं है। रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि खानदानी किसान अगर फसल सूख जाए, फसल को पाला मार दे या उपज बिल्कुल कम हो तो भी खेती करना नहीं छोड़ता। उसके पास कोई उपाय ही नहीं है। ठीक उसी तरह भक्त चाहे कोई तनाव हो, दिक्कत हो या कोई भारी परेशानी हो, भगवान को प्रेम करना नहीं छोड़ता। हमेशा उसके दिलोदिमाग पर भगवान ही छाए रहते हैं। मैंने एक अमेरिकी व्यक्ति को देखा है। वह हमेशा कहता रहता है- गाड, माई लार्ड आई लव यू, आई लव यू। रिवील दाईसेल्फ। आई लव यू।

2 comments:

Udan Tashtari said...

वाकई दिल को छू गई...

kulu said...

bahut badiya hai. bhagwaan ko pakda raho aur ma bhi pakad kar rakunga bhagwaan ko