Tuesday, November 17, 2009

आखिर बुढ़ापा स्थगित करने का उपाय ढूंढ़ ही निकाला

विनय बिहारी सिंह

इंग्लैंड के अल्बर्ट आइंटाइन कालेज आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने आखिर बुढ़ापे को बहुत दिनों तक स्थगित रखने का उपाय ढूंढ़ ही निकाला। उन्होंने कहा है कि जब शरीर की कोशिकाएं मरने लगती हैं तो मनुष्य के शरीर में झुर्रियां पड़ना शुरू हो जाती है। जब शरीर की कोशिकाएं विभाजित होती हैं तो उनमें स्थित टेलोमियर्स नामक तत्व कम पड़ता जाता है। नतीजा यह है कि वह कोशिका विभाजित होते होते मर जाती है। इन शोधकर्ताओं ने डीएनए का परीक्षण बहुत गहराई से करने के बाद पाया है कि अगर टेलोमियर्स को हमेशा के लिए टोन अप रखा जाए तो बुढ़ापा टल जाएगा या नहीं आएगा। तो टेलोमियर्स को टोन कैसे किया जाए? शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका भी उपाय है। शरीर में कुछ खास रसायनों के संतुलन से और कुछ रसायनों को शरीर में प्रवेश करा देने से काम बन जाएगा। तब आप ७० साल के व्यक्ति को भी भ्रम से ५० साल का व्यक्ति समझ लेंगे। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि अगर आदमी खुश रहे तो भी शरीर चमकदार चेहरे वाला रह सकता है। हम सभी च्यवन ऋषि के बारे में जानते हैं। उनका भी कायाकल्प अश्विनी कुमारों ने किया था। वर्षों तक घनघोर तप के कारण उनके शरीर के चारो ओर मिट्टी का घेरा हो गया था। सिर्फ उनकी आंखों वाले स्थान पर दो छेद थे। एक राजा की कन्या अपने पिता के साथ वहां घूमते हुए आई और उत्सुकतावश उसने च्यवन ऋषि की आंखों वाले छेद में एक लकड़ी से खोद दिया। ऋषि की आंखों से धाराधार खून गिरने लगा। उनकी समाधि टूटी। चारो तरफ की मिट्टी अचानक हट गई और ऋषि ने राजा को पुकारा। राजा ने घटना जान कर माफी मांगी। ऋषि ने कहा कि वे इस कन्या से विवाह करेंगे। तेजस्वी ऋषि का प्रताप राजा को मालूम था। उन्होंने अपनी पुत्री को ऋषि से शादी के लिए राजी कर लिया। वयोवृद्ध ऋषि के साथ उसका विवाह हुआ। तब ऋषि ने अश्विनी कुमारों का आह्वान किया। वे आए और ऋषि का कायाकल्प किया। अब ऋषि २० वर्ष के युवा की तरह दिखने लगे। यहां से उनका पारिवारिक जीवन शुरू हो गया। उन्हीं के नाम पर आयुर्वेद की दवा बनाने वाले च्यवनप्राश बनाते हैं। कहने का अर्थ यह कि यह शोध कोई नया नहीं है। हमारे ऋषि- मुनि बहुत पहले से कायाकल्प की कला जानते थे।

2 comments:

Vinashaay sharma said...

सहमत हूँ आपसे ।

jayanti jain said...

Ageless body :timeless mind by Deepak chopara has cited many things to in this regard