विनय बिहारी सिंह
हममें से अनेक लोग पूजा- पाठ करते हैं या ध्यान करते हैं तो लगातार भगवान से अपनी मांग पूरी करने के लिए आग्रह करते रहते हैं। यह भी चाहते हैं कि भगवान एक खास ढंग से हमारी मांग पूरी करें। यानी सब कुछ हमारी मर्जी से हो। कई लोग तो मांग पूरी नहीं होने पर कहने लगते हैं कि भगवान है ही नहीं। वे कहते हैं- भगवान इत्यादि कुछ नहीं है। यह सब मन का भ्रम है। कुछ नहीं। यह संसार अपने आप चल रहा है। है न मजेदार बात। लेकिन हम कौन होते हैं भगवान पर अपनी शर्तें लागू करने वाले? यह संसार उसका है। हम उसके हैं। वह चाहे जैसे हमारी मांग पूरी करे या न करे, यह उसकी मर्जी। हम क्यों कहें कि भगवान हमारी मांग आप इस ढंग से पूरी कीजिए? हम बस यही कह सकते हैं कि भगवान, आप कृपा कर मेरा यह काम कर दीजिए। वे कैसे करेंगे, यह वे जानें। बस हो गया। आपका काम यहीं पूरा हो गया। एक महात्मा का कहना है कि अगर आपने अपने दिल से किसी काम के लिए लगातार प्रार्थना की है औऱ वह काम पूरा नहीं हुआ तो यह मान कर चलिए कि उस का उस समय न होना ही अच्छा था। लेकिन इतना तय है कि जब आप प्रार्थना करते हुए आकाश- पाताल एक कर देंगे तो निश्चय जानिए आपका काम होगा। अगर आप किसी का कल्याण चाहते हैं, या आपकी मांग पूरी होने से अगर किसी का नुकसान न हो तो ऐसी मांग भगवान अवश्य पूरी करते हैं।
3 comments:
सही कह रहे हैं आप।
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क्या स्टारवार शुरू होने वाली है?
परी कथा जैसा रोमांचक इंटरनेट का सफर।
मतलब भगवान तानासाह है.. जो मन में आता है वही करता है.. और उसके राज्य में पारदर्शिता तो बिलकुल भी नहीं है.. :)
इस्लाम की मूल शिक्षा भी यही है... और बल्कि ईश्वर की ही इच्छा को जीवन पर्यंत पालित करने वाला सच्चा मुसलमान है.
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