Monday, November 16, 2009

भाग्य का नाम गोपाल है

विनय बिहारी सिंह

बांग्ला में एक बहुत ही सुंदर कहावत है। यह कहावत किसी संत के कथन से निकली है। कहावत है- कपालेर नाम गोपाल। इसका अर्थ है- भाग्य का नाम गोपाल (ईश्वर) है। इस संत की पुस्तक की बहुत ही पुरानी फटी हुई पांडुलिपि पढ़ने को मिली। इसलिए उनका नाम और किताब का नाम वह भाई नहीं बता सके जिनकी आलमारी में यह पड़ी हुई थी। लेकिन है गजब की पुस्तक। संत ने कहा है- आप भाग्य को लेकर हमेशा रोते मत रहिए। या अपने भाग्य को कोसते मत रहिए। अपनी नौकरी, अपने परिवेश, अपने पति या पत्नी या दोस्त या पड़ोसी को लेकर कुढ़ते मत रहिए। तो क्या करें? संत ने लिखा है- जो भी चीज आपके पास है या आपको मिली हुई है। उसका एक कारण है। क्या कारण है? ईश्वर आपको कुछ सबक सिखाना चाहते हैं। आपने विगत में जो काम किए हैं, उसका रिएक्शन अभी या महीने, दो महीने, आठ महीने बाद जरूर मिलेगा। हमारे कर्म हमारा पीछा करते रहते हैं। इन्हीं कर्मों के कारण आपको प्यार या घृणा या कटु वाक्य या झगड़ा या मनमुटाव या तनाव है। इनसे सीखिए। ये खराब या अच्छी परिस्थितियां आपको सबक सिखाने के लिए आपको मिली हैं। सभी जानते हैं कि एक न एक दिन सबको मरना है। लेकिन लोग इस सच्चाई को याद नहीं रखते। बार- बार प्रपंच में फंसे रहना चाहते हैं। ५०, ६० ७० या १०० साल बाद मरना ही है हमको। तब फिर? इस पर कुछ लोग सवाल करते हैं कि अगर मरना है तो क्या आनंद लेना छोड़ दें? नहीं कौन कहता है कि आनंद लेना छोड़ दीजिए। लेकिन प्रश्न है कि आप आनंद किसको कहते हैं और असली आनंद कहां छुपा है? अगर आप शराब पीने और जुआ खेलने को आनंद कहते हैं, गप्प हांकने को आनंद कहते हैं तो माफ कीजिए यह आनंद नहीं है। एक भाई ने कहा कि गप्प हांकना भी स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। जी नहीं। यह हमारे लिए जहर है। मीठा जहर। ज्यादातर गप्प के बहाने पर निंदा ही होती है। कौन कैसा है, इसी पर चर्चा होती है। या अगर नहीं भी होती है तो समय बरबाद क्यों किया जाए? आप पूछेंगे कि क्या करें? कोई अच्छी किताब पढ़ सकते हैं। किसी रचनात्मक योजना पर सार्थक बातचीत कर सकते हैं। प्रेरणादायी पुस्तक पढ़ सकते हैं। किसी सफल व्यक्ति से उसके जीवन के सबक को सुन सकते हैं। ऐसे सफल व्यक्ति निश्चय ही आपके आसपास होंगे या नहीं तो उनकी पुस्तकें तो हैं ही। कुछ लोग तो खुद को समृद्ध करने के लिए आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ते हैं। तो भाग्य का नाम गोपाल है। यानी अगर आप अपना भाग्य ईश्वर को समर्पित कर देंगे तो वे आपका भाग्य बदल देंगे। इसका क्या अर्थ हुआ? अर्थ यह है कि भाग्य वाग्य कुछ नहीं होता। जो कुछ होता है वह ईश्वर ही है। आप ईश्वर की शरण में जाइए और भाग्य को भूल जाइए। वे तो बिगड़ी बनाने वाले हैं। उनका नाम ही है अनंत ब्रह्मांडों के स्वामी यानी भगवान। भाग्य का नाम भगवान। यानी वे कभी भी आपके ऊपर कृपा कर सकते हैं। बस निरंतर उनका स्मरण कीजिए। उनसे प्यार कीजिए।

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