Thursday, May 21, 2009

उम्र यूं ही तमाम होती है

विनय बिहारी सिंह

एक चिंतक ने कहा है- रोज सुबह होती है, शाम होती है, उम्र यूं ही तमाम होती है। इसका निहितार्थ बहुत व्यापक है। यानी हम रोज ब रोज हमारी उम्र कम होती जा रही है। हम दिन औऱ रात का खाना खाते हैं, चाय पीते हैं और दिन भर का काम निबटा कर सो जाते हैं। फिर सुबह होती है और दुबारा हम उसी चर्या को पूरा करते हैं। इसी बीच हम ऊबते भी हैं। फिर सांसारिक आकर्षण में थोड़ी सी शांति पाने के लिए यहां वहां दौड़ते हैं। लेकिन कहीं शांति नहीं मिलती। हर बार लगता है कि कहीं कुछ छूट गया। क्या करें कि मन एकदम तृप्त हो जाए। वे लोग भाग्यशाली हैं जिन्होंने ईश्वर से नाता जो़ड़ लिया है। उन्हें पूर्ण तृप्ति मिलती है। सभी संतों ने बताया है कि ईश्वर के यहां नियम यह है कि उससे जुड़ते ही मनुष्य सुरक्षा कवच से घिर जाता है औऱ उसे शांति का स्वाद मिलने लगता है। सारा तनाव धीरे- धीरे गायब होने लगता है। ध्यान करने वालों का कहना है कि इससे जीवन पूरी तरह रूपांतरित हो जाता है। हालत यह हो जाती है कि बिना सुबह- शाम ध्यान किए मन नहीं लगता। जब तक ध्यान नहीं करते, लगता है कि कुछ खो गया है। ईश्वर से जुड़ने का सुख ही यही है। तो क्या ध्यान ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है? इसका उत्तर है- हां। आप जितना अधिक ध्यान करेंगे, आप उतनी ही गहराई से ईश्वर से जुड़ जाएंगे। रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे- ध्यान कैसा होना चाहिए- जैसे तेल की धार। लगातार बिना टूटे ईश्वर में ध्यान है। आप ध्यान करते समय मन ही मन प्रार्थना भी कर सकते हैं। कई लोग प्रश्न करते हैं कि हमारी प्रार्थना क्या ईश्वर सुनते हैं? सभी संत कहते हैं कि आप ज्योंही प्रार्थना करते हैं, ईश्वर का ध्यान उसकी ओर तुरंत जाता है। आप जितना अधिक ईश्वर से प्यार करेंगे, वे आपके करीब उतना ही ज्यादा आते जाएंगे। ऐसे में आपकी ग्रह दशा चाहे जो हो, ईश्वर उसमें परिवर्तन कर देते हैं। ईश्वर की कृपा के सामने सभी ग्रह- नक्षत्र अप्रभावी हो जाते हैं। बस एक ही उपाय है- ईश्वर से जुड़ जाना है।